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________________ जैनपरंपरा में श्रीकृष्ण साहित्य का वर्णन है। इसके प्रारंभ के १४ सर्गों की रचना भट्टारक सकलकीति द्वारा व शेष सर्गों की रचना इन्हीं के शिष्य ब्रह्म जिनदास द्वारा की गयी है। इनके समय को लेकर विद्वानों में भिन्न-भिन्न मत दिखलाई देते हैं । डॉ० कस्तूरचंद कासलीवाल के मतानुसार इनका जन्म वि० सं० १४४३ और स्वर्गवास १४६६ में हआ तथा डॉ० ज्योतिप्रसाद जैन के अनुसार १४१८ में जन्म एवं १४६६ में स्वर्गवास हुआ है। डॉ० मो० विन्टरनित्स द्वारा निर्धारित स्वर्गवास का समय सं० १५२१ का ठीक नहीं है और न डॉ० जोहरापुरकर द्वारा निर्धारित काल सं० १४५० भी उचित बैठता है।106 ये डूंगरपर (ईंडर) पट्ट के संस्थापक तथा बागड (सागवाडा) वडसाजन पट्ट के भी संस्थापक थे। इनके द्वारा ३४ ग्रंथ जिनमें २८ संस्कृत भाषा में तथा ६ राजस्थानी भाषा में रचित हैं। (१५) पाण्डवपुराण (शुभचंद्र) इस पौराणिक काव्य के २५ पर्व हैं जिनकी श्लोक संख्या ६००० है। इसमें पाण्डवों की रोचक कथा का वर्णन किया गया है। इस ग्रथ को जैन महाभारत भी कहते हैं । पर्वो की रचना अनुष्टुप छंदों में हुई है तथा पन्ति में छंदपरिवर्तन किया गया है। पर्व का प्रारंभ तीर्थंकर स्तुति से है जो क्रमशः ऋषभदेव से लेकर पार्श्व तक चलती है। ग्रथ के कर्ता भट्टारक शुभचंद्र हैं जो भट्टारक विजयकीर्ति के शिष्य तथा ज्ञानभूषण के प्रशिष्य थे। इनके शिष्य श्रीपाल वर्णी थे। इनकी सहायता से भट्टारक शुभचंद्र ने वाग्वर(वागड)प्रांत के अंतर्गत (सागवाडा) नगर में वि० सं० १६०८ भाद्रपद द्वितीया के दिन इस ग्रथ की रचना की है । पच्चीसवें पर्व में जो कवि-प्रशस्ति दी गयी है उससे इनकी गुरु परंपरा का तथा इनके द्वारा रचित २५, २६ ग्रंथों की सूची का परिचय उपलब्ध होता है।107 ये एक बड़े विद्वान व प्रतिभासंपन्न थे, इनके लिए त्रिविधविद्याधर (शब्दागम, युक्त्यागम और परमागम के ज्ञाता)और षभाषा कवि चक्रवर्ती १०६. राजस्थान के जैन संत : व्यक्तित्व और कृतित्व, पृ० १-२१; जैन संदेश ___ शोधांक १६, पृ० १८१ तथा १८८ तथा २०८-२०६ १०७. जैन साहित्य और इतिहास, पृ० ३८३-८४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002083
Book TitleJain Sahitya me Shrikrishna Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendramuni
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1991
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size12 MB
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