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संस्कृत-जैन श्रीकृष्ण-साहित्य
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राम इस अनीति का विरोध करते हैं। किष्किधा में भयंकर युद्ध होता है. और साहसगति मारा जाता है। नल, नील, जांबवन्त आदि राम का स्वागत करते हैं। दूसरी ओर श्रीकृष्ण के साथ जरासंध वैरभाव रखता है। वह श्रीकृष्ण पर आक्रमण करता है किन्तु पराजित हो जाता है। द्वारिका में विजय के हर्ष में उत्सव मनाया जाता है । श्रीकृष्ण अर्जुन की वीरता से बहुत प्रभावित होते हैं और बहन सुभद्रा का उसके साथ विवाह करने के विषय पर सोचते हैं।
__दसवें सर्ग में लक्ष्मण राजा सुग्रीव के पास जाते हैं और उससे कहते हैं कि तुम्हें सीता की खोज का प्रयत्न करना चाहिए, अन्यथा राम का क्रोध तुम्हें नष्ट कर देगा। दूसरी ओर श्रीकृष्ण के पास पुरुषोत्तम नामक दूत आता है जो कहता है कि आपको जरासंध के साथ मित्रता कर लेनी चाहिए।
ग्यारहवें सर्ग में सुग्रीव अपनी राजसभा में चर्चा कर निश्चय करता है कि रावण प्रबल पराक्रमी है अतः शत्रु पर विजय प्राप्त करने के लिए मुझे राम के साथ मैत्री कर लेनी चाहिए। वे ऐसा सोचते हैं, परंतु विचलित सुग्रीव को जांबवान धीरज दिलाता है। हनुमान, जाम्बवान और सुग्रीव पुनः विचार विमर्श करते हैं। दूसरी ओर जरासंध के दूत के लौट. जाने पर श्रीकृष्ण अपने अनुभवी सहयोगियों से विचार विमर्श करते हैं । भीम जरासंध के विनाश का विचार प्रकट करता है । बलराम मध्यस्थता की बात करते हैं।
___बारहवें सर्ग में लक्ष्मण हनुमान के साथ कोटिशिला पर पहुंचते हैं और वे उस शिला को उठा लेते हैं। दूसरी ओर श्रीकृष्ण भी अपने मित्रों सहित कोटिशिला पर पहुंचते हैं और वे भी शिला को उठा लेते हैं।
तेरहवें सर्ग में हनुमान सीता का समाचार लाने अकेले लंका जाते हैं। हनुमान रावण को कुमार्ग को त्यागने और राम की शरण ग्रहण करने की सलाह देते हैं, किंतु वे उसमें सफल नहीं होते। दूसरी ओर श्रीकृष्ण का दूत श्रीशैल राजगह जाता है और जरासंध से कहता है कि तुम श्रीकृष्ण की अधीनता स्वीकार कर लो या कन्दरा में जाकर ध्यान करो।
चौदहवें सर्ग में राम, लक्ष्मण, हनुमान आदि द्वारा रावण से युद्ध की तैयारी का वर्णन है। एक ओर राम की सेना लंका की ओर बढ़ने
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