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________________ ८४ जैन परंपरा में श्रीकृष्ण साहित्य समानान्तर रूप से दो कथानकों के निर्वाह के कारण इसे द्विसन्धानम् कहा है। इसका कथानक १८ सर्गों में व्याप्त है। कृतिकार कृतिकार-"द्विसन्धानम्' काव्य की टीका से कवि परिचय पर यत्किञ्चित् प्रकाश पड़ता है। इस रचना के अंतिम छंद की व्याख्या में कहा गया है कि कवि धनंजय के पिता का नाम वासूदेव और माता का नाम श्रीदेवी था। इसी स्रोत से ज्ञात होता है कि कवि के गुरु का नाम दशरथ था । रचना-प्रेरणा के विषय में भी एक किंवदन्ती प्रचलित है कि कवि धनंजय के पूत्र के साथ सर्पदंश की दुर्घटना हो गयी थी। अतः सर्पविष के प्रभाव को दूर करने के प्रयोजन से कवि ने स्तोत्र रूप में यह रचना की। रचनाकाल द्विसन्धानम् काव्य के विषय में भी मत-मतान्तर हैं। डॉ० के० वी० पाठक की मान्यता है कि कवि धनंजय का काल ११२३-११४० ई० के मध्य था। डॉ० ए० बी० कीथ ने अपने संस्कृत साहित्य के इतिहास में पाठक के मत को स्वीकार किया है। अन्यान्य उपलब्ध उल्लेखों के साथ इस मान्यता का मेल नहीं बैठता है। आचार्य प्रभाचन्द्र ने कवि धनंजय का उल्लेख "प्रमेयकमलमार्तण्ड" में किया है। आचार्य प्रभाचन्द्र का समय ११वीं शदी का पूर्वार्द्ध था । वादिराज ने भी अपनी रचना पार्श्वनाथ चरित में द्विसन्धान के कर्ता धनंजय की चर्चा की है। पार्श्वनाथचरित काव्य का काल १०२४ ई० है। और वादिराज का १०२५ ई० है। अस्तु, धनंजय का काल इससे भी पूर्व का होना चाहिए। जल्हण ने राजशेखर के नामवाला एक श्लोक उद्धृत किया है। __ यह राजशेखर “काव्यमीमांसा" के रचनाकार हैं और इनका समय १०वीं शताब्दी है । फलतः धनंजय का समय १०वीं शदी से पूर्व का होना चाहिए। ६७. यः श्रीदेव्या मातुनन्दनः पुत्रो वसुदेवतः प्रतिवसुदेवस्य पितुः प्रतिनिधिः १८/१४६ ६८. प्रमेयकमलमार्तण्ड–माणिकचन्द ग्रंथमाला पृ० ४०२ । ६६. द्विसन्धाने निपुणतां सतां चक्रे धनंजयाः । यथाजातं फलं तस्य सतां चक्रे धनंजयाः -संस्कृतसाहित्य का इतिहास हा० बलदेव उपाध्याय, शारदामंदिर काशी षष्ठ संस्करण, पृ. ३०४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002083
Book TitleJain Sahitya me Shrikrishna Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendramuni
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1991
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size12 MB
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