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________________ अनेकान्तिक दृष्टि का विकास परमात्मा ने कामना की" मैं बहत हो जाऊँ अर्थात् मैं उत्पन्न हो जाऊँ। अतः उसने तप किया। उसने तप करके ही यह जो कुछ है इन सबकी रचना की । इसे रचकर वह इसी में अनुप्रविष्ट हो गया। इसमें अनुप्रविष्ट होकर वह सत्य स्वरूप परमात्मा मूर्त-अमूर्त कहे जाने योग्य और न कहे जाने योग्य, आश्रय-अनाश्रय, चेतन-अचेतन एवं व्यावहारिक सत्य-असत्य रूप हो गया। यह जो कुछ है उसे ब्रह्मवेत्ता लोग "सत्य" इस नाम से पुकारते हैं।" ___ इस प्रकार की और भी अनेक विचारधारायें उपनिषदों में उपस्थित हैं किन्तु स्थानाभाव के कारण उन सबका उल्लेख हम यहाँ नहीं करेंगे। (२) बौद्ध पिटक साहित्य में उपलब्ध विभिन्न दार्शनिक विचारधारायें : उपनिषद्कालीन चिन्तन की स्थिति पर विचार करने पर यह निष्कर्ष प्राप्त होता है कि उस युग में तत्त्व चिन्तन सम्बन्धी विभिन्न प्रकार की विधायें प्रचलित थीं। ये विचारधारायें स्व-चिन्तन के आधार पर अपनेअपने मत का निरूपण ही नहीं अपितु तद् विरोधी विचारधाराओं का खण्डन भी कर रही थीं जिनका उल्लेख बौद्ध पिटक ग्रन्थों में भी है। दीघनिकाय के "ब्रह्मजालसुत्त" में ऐसी अनेक परस्पर विरोधी विचारधाराओं का चित्रण मिलता है। जिनका स्पष्टीकरण हम नीचे प्रस्तुत क्तर रहे हैं___ आत्मा और लोक नित्य है या अनित्य ? इस प्रश्न के सन्दर्भ में परस्पर विरोधी मन्तव्य उपस्थित थे। कुछ विचारक इस निष्कर्ष पर पहुंचते थे कि आत्मा और लोक नित्य है, केवल मनुष्य मरता और जन्म लेता है। परन्तु इसके विपरीत कुछ विचारक इस निष्कर्ष पर भी पहुँच रहे थे कि यह आत्मा और लोक आदि अनित्य हैं। शरीर के नष्ट होते ही ये सब भी १. तैत्तिरीय उपनिषद, २:६. "सोऽकामयत । बहु स्यां प्रजायेयेति । स तपोऽतप्यत । स तपस्तप्त्वा । इदं सर्वमसृजत । यदिदं किंच । तत्सृष्ट्वा । तदेवानुप्राविशत् । तदनुप्रविश्य । सच्च त्यच्चाभवत् । निरुक्तं चानिरुक्तं च । निलयनं चानिलयनं च । विज्ञानं चाविज्ञानं च । सत्यं चानृतं च सत्यमभवत् । यदिदं किंच । तत्सत्यमित्याचक्षते ।" Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002082
Book TitleSyadvada aur Saptabhanginay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhikhariram Yadav
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages278
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Nyay
File Size11 MB
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