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________________ ( ४२ ) गुरुजनों का आभारी हूँ जिनसे मुझे समय-समय पर स्नेहपूर्ण प्रोत्साहन प्राप्त होता रहा है। इसी प्रसंग में मैं उन तर्कविदों एवं विद्वानों को भी धन्यवाद देता हूँ, जिनकी कृतियों से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में इस प्रबन्ध को पूरा करने में सहायता प्राप्त हुई है। खासतौर से मैं पं० दलसुख भाई मालवणिया, प्रो० संगमलाल पाण्डेय, प्रो० बारलिंगे, प्रो० कोठारी, प्रो० जी० बी० बर्च, प्रो० महलनविस, प्रो० मोहनलाल मेहता आदि तर्कविदों का आभारी हूँ। सप्तभंगी की तार्किक व्याख्या का प्राथमिक प्रयास इन्हीं सब विचारकों का रहा है। मैंने इस प्रबन्ध में जो कुछ भी किया है, वह सब इन्हीं के कृतियों से प्राप्त दृष्टि का प्रतिफल है। इस शोध प्रबन्ध के प्रणयन हेतु मुझे श्री गणपतराज जी बोहरा एवं न्यूकेमप्लास्टिक्स से शोध-वृत्ति प्राप्त हुई अतः उनका भी आभारी हूँ। ___ इसके बाद मैं पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान एवम् इसके पदाधिकारियों यथा-मन्त्री आदरणीय श्री भूपेन्द्रनाथजी जैन, मंगल प्रकाश मेहता तथा कार्यालय अधिकारी श्री मोहनलालजी को धन्यवाद देता हूँ, जिनसे मुझे यथासंभव आर्थिक, पुस्तकीय एवं अन्य सहायता प्राप्त होती रही है। तत्पश्चात् मैं अपने अनन्य मित्रों डॉ० अरुणप्रताप सिंह, डॉ० रवि शंकर मिश्र, डॉ० श्रीराम यादव, श्री शिवशंकर यादव, डॉ० नरेन्द्र बहादुर और श्री महेन्द्र यादव तथा डॉ० ओम प्रकाश (औरंगाबाद) के प्रति आभार प्रकट करता हूँ। __इस शोध-प्रबन्ध के प्रूफ-संशोधन में श्री महेश कुमार, डॉ० शिवप्रसाद एवं डा० अशोककुमार सिंह ने अत्यधिक सहयोग किया है इसलिए इन सबके प्रति भी आभार ज्ञापित करता हूँ। इस ग्रन्थ की प्रस्तावना के रूप में श्रद्धेय गुरुवर्य प्रो० सागरमल जैन का निबन्ध प्राप्त हुआ एतदर्थ उनके प्रति मैं पुनः आभार प्रकट करता हूँ। ( भिखारीराम यादव ) प्राध्यापक दर्शन एस० एन० सिन्हा कालेज, औरंगाबाद (बिहार) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002082
Book TitleSyadvada aur Saptabhanginay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhikhariram Yadav
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages278
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Nyay
File Size11 MB
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