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( ३८ )
P (AB) = P (A). P (B)
P(AC) = P(A). P (C)
P(BC) = P (B).P ( C )
P(ABC) = P(A). P (B). P (C).
जिसमें A, B और C तीन स्वतन्त्र घटनाएँ ( Independent events ) हैं और P संभाव्यता (Probability) रूप परिमाणक है तथा " . " संयोजन ( Conjunction ) का प्रतीक है ।
यद्यपि सप्तभंगी के प्रत्येक भंग स्वतन्त्र घटनायें नहीं हैं, किन्तु उक्त स्वतन्त्र घटनाओं का व्यवहार उसी प्रकार होता है, जिस प्रकार सप्तभंगी के तीन मूल भंगों का । इसी व्यावहारिक समानता के कारण हमने स्यादस्त को P (A) स्यान्नास्ति को P ( ~ B) और स्यादवक्तव्य को P ( ~C) माना है । इसमें P " स्यात् " पद का प्रतीक है। इन प्रतीकों का आशय ऊपर के प्रतीकों के आशय से भिन्न हैं किन्तु मात्र उनके प्रतीकों को लेने सप्तभंगी का निम्नलिखित प्रारूप बनता है
१. स्यादस्ति = P (A)
२. स्यान्नास्ति = P (~B)
३. स्यादस्ति च नास्ति = P (A. ~ B)
४. स्यादवक्तव्य = P (~C)
५. स्यादस्ति चावक्तव्य = P(A.~C)
६. स्यान्नास्ति चावक्तव्य P(~ B. ~C)
७. स्यादस्ति च नास्ति चावक्तव्य च = P (A.~B.~C)
इसमें सप्तभंगी के प्रत्येक कथन को विधेयात्मक रूप से ही ग्रहण नहीं किया गया है। ऐसा क्यों किया गया है, इस बात को भी प्रस्तुत प्रबन्ध में विस्तृत रूप से स्पष्ट किया गया है निम्न चित्रों के द्वारा भी चित्रित किया जा
।
सप्तभंगी की सप्तमूल्यता को सकता है
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