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समकालीन तर्कशास्त्रों के सन्दर्भ में सप्तभंगी : एक मूल्यांकन १८५ भंगों के आगमिक रूप भंगों के सांकेतिक रूप ठोस उदाहरण स्यात् अस्ति आउावित है। यदि द्रव्य की अपेक्षा से
विचार करते हैं तो
आत्मा नित्य है। स्यात् नास्ति अ25 उावित नहीं है। यदि पर्याय की अपेक्षा से
विचार करते हैं तो
आत्मा नित्य नहीं है। स्यात् अस्ति नास्ति च 12 उवि है यदि द्रव्य की अपेक्षा से अ25 उवित नहीं है। विचार करते हैं तो
आत्मा नित्य है और यदि पर्याय की अपेक्षा से विचार करते हैं तो
आत्मा नित्य नहीं है। स्यात् अवक्तव्य (1 अ2) यउ यदि द्रव्य और पर्याय
अवक्तव्य है। दोनों ही अपेक्षा से या अथवा
अनन्त अपेक्षाओं से एक अ उ अवक्तव्य है। साथ विचार करते हैं तो
आत्मा अवक्तव्य है (क्योंकि दो भिन्न-भिन्न अपेक्षाओं से दो अलगअलग कथन हो सकते हैं किन्तु एक कथन नहीं
हो सकता)। स्यात् अस्ति च 12 उविहै0( यदि द्रव्य की अपेक्षा से अवक्तव्य च
0अ2)य उ1 य विचार करते हैं तो अवक्तव्य है या आत्मा नित्य है किन्तु 12 उवित है0(अ) यदि आत्मा की द्रव्य या उ1 अवक्तव्य है पर्याय दोनों या अनन्त
अपेक्षाओं की दृष्टि से एक साथ विचार करते हैं तो आत्मा अवक्तव्य है।
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