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११८ जैन तर्कशास्त्र के सप्तभंगी नय की आधुनिक व्याख्या विरोध नहीं होता है। साथ ही इसकी इसी विशिष्टता के कारण प्रतिपक्षी स्याद्वाद में विरोध-दूषण दिखलाने में असमर्थ होते हैं। वस्तुतः जैन तर्कशास्त्र में इस सापेक्षता का बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसे आगे और भी स्पष्ट किया जायेगा।
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