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________________ XVI कौमुदीमित्रानन्दरूपकम् कुछ भित्र है। उनके अनुसार प्रबन्धशतकर्ता का आशय १०० प्रबन्धों की रचना करने वाला नहीं, अपितु प्रबन्धशत नामक ग्रन्थविशेष की रचना करने वाला है। इस प्रबन्धशत में ५००० पद्य थे। अस्तु, प्रायशः विद्वान् उन्हें १०० प्रबन्धों का कर्ता ही स्वीकार करते हैं, किन्तु उनकी सभी कृतियाँ अद्यावधि उपलब्ध नहीं हो सकी हैं। उनकी जो जो कृतियाँ सम्प्रति उपलब्ध हैं उनके शीर्षक निम्नलिखित हैं१. नाट्यदर्पण - सहपाठी गुणचन्द्र के सहयोग से विरचित नाट्यशास्त्रीय मौलिक कृति। २. नलविलास नाटक (पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी से प्रकाशित)। ३. सत्यहरिश्चन्द्र नाटका ४. यादवाभ्युदय - नाटक (नाट्यदर्पण में उद्धृत)। ५. रघुविलास नाटक (नाट्यदर्पण में उद्धृत)। ६. राधावाभ्युदय नाटक (नाट्यदर्पण में उद्धृत)। ७. वनमाला नाटिका (नाट्यदर्पण में उद्धृत)। ८. कौमुदीमित्रानन्द - प्रकरण (आत्मानन्द सभा, भावनगर से प्रकाशित)। ९. मल्लिकामकरन्द - प्रकरण (नाट्यदर्पण में उद्धृत)। १०. रोहिणीमृगाङ्क प्रकरण (नाट्यदर्पण में उद्धृत)। ११. निर्भयभीमव्यायोग - (यशो जैन ग्रन्थमाला और पार्श्वनाथ विद्यापीठ, से प्रकाशित)। १२. सुधाकलश (नाट्यदर्पण में उद्धृत कोश-ग्रन्थ)। १३. यदुविलास - (रघुविलासनाटक की प्रस्तावना में उद्धृत)। १४. कुमारविहारशतक – (भारतीय आर्य सभा से प्रकाशित)। १५. द्रक्ष्यालङ्कारवृत्ति – (रघुविलासनाटक की प्रस्तावना में उद्धृत और गुणचन्द्र के सहयोग से विरचित न्यायशास्त्रीय ग्रन्थ)। १६. हैमबृहद्वत्तिन्यास - आचार्य हेमचन्द्रप्रणीत व्याकरणविषयक ग्रन्थ 'सिद्धहेमशब्दानुशासन' की टीका। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002080
Book TitleKaumudimitranandrupakam
Original Sutra AuthorRamchandrasuri
Author
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages254
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Culture
File Size8 MB
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