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________________ जिक्र जेहर :- यह साधना गोपनीय है। साधक को आसन में बिठाकर (वज्रासन) "बिसमिल्ला' या 'ला इलाहइल्लिल्लाह' को तीन बार पढ़ाता है। जिक्रे पासे अनफास :- इस साधना पद्धति में अनफास अर्थात् भीतर के सांस के साथ 'ला इलाह' और बाहरी सांस के साथ 'इल्लिल्लाह' का स्मरण करता है। हब्जे दम :- यह साधना पद्धति सूफियों को अधिक मान्य हैं। इसमें प्राणायाम की प्रक्रिया को अधिक महत्त्व दिया है। शगले नसीर :- प्रातः और शाम के समय जानुओं पर बैठकर आंखों की दृष्टि नासिकाग्र भाग पर लगाते हैं। ध्यान को अधिक महत्त्व दिया है। शगले महमूदा:- भौहों के बीच दृष्टि लगाये ध्यान करना। यों तो सूफी मत में अनेक साधना पद्धतियाँ हैं पर पहले बताये हुए चार साधना मार्ग को ही अधिक महत्त्व देते हैं। सूफी साधना का अग्रण्य 'गुरु' है। गुरुकृपा से चार मंजिल पार की जा सकती हैं। यही मुख्य साधना पद्धतियां हैं। संसार में स्थान और व्यक्तिआस्था भेद के अनुसार अनेकानेक साधना पद्धतियाँ हैं। ऊपर हमने नमूने के तौर पर ही कुछ साधनाओं का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया है। अगले अध्याय में हम ध्यान संबंधी जैन साधना साहित्य का आकलन प्रस्तुत करेंगे। संदर्भ सूचि १. ण्यासश्रन्यो युच । अष्टाध्यायी, ३/३/१७ २. संस्कृत शद्वार्थ - कौस्तुभ, पृ. १२४८ ३. इय विसृष्टिर्यतं आ बभूव यदि वा दधे यदि वा न । यो अस्याध्यक्षः परमे व्योमन् त्सो अंगवेद यदि वा न वेद ।। ऋग्वेद, १०/१२९/७ ४. क) इन्द्रं मित्रं वरुणमग्निमाहु - रथो दिव्यः स सुपर्णो गरुत्मान् । एकंसद् विप्रा बहुधा वदन्त्यग्नि यमं मातरिश्वानमाहुः ।। ऋग्वेद, १/१६४/४६ ख) तदेवाग्निस्तदादित्यस्तद्वायुस्तदु चन्द्रमाः । तदेव शुक्रं तद् ब्रह्मताऽआपः स प्रजापतिः ।। यजुर्वेद, ३२/१ जैन साधना पद्धति में ध्यान योग Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002078
Book TitleJain Sadhna Paddhati me Dhyana yoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadarshanshreeji
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1991
Total Pages650
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Dhyan, & Philosophy
File Size10 MB
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