________________
उपासकाध्ययन : श्री सोमदेव सूरि, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, काशी, प्रथम, १९६४
उच्च प्रकाशना पंथे (पंच सूत्र) : श्री हरिभद्र (भानूविजयजी) दिव्यदर्शन कार्यालय, काळुशीनी पोळ, अहमदाबाद -१, तृतीय, वि.सं. २०२७
उत्तरी भारत की संत-परंपरा : आ. परशुराम चतुर्वेदी; भारती भंडार लीडर प्रेस, इलाहाबाद, द्वितीय, सं. २०२१
उत्तरपुराण (हिंदी) : आचार्य गुणभद्र, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, वाराणसी, द्वितीय १९६८
एसो पंच णमोक्कारो : युवाचार्य महाप्रज्ञ, आदर्श साहित्य संघ प्रकाशन, चूरू (राज.) द्वितीय, १९८०
ओम्कार : ह. भ. प. श्रीराम रामचंद्र गणोरे (हरिदास) हरिराम आश्रम मठ, पुणे, प्रथम, १९७६ ई. स.
ओंकार एक अनुचिंतन : श्री पुष्करमुनिजी महाराज साहब, सार्वभौम साहित्य संस्थान, शक्तिनगर, दिल्ली - ६, १९६४
ॐकार किमया (मराठी): स. कृ. देवधर, प्रसाद प्रकाशन, पुणे ३०
खवग-सेढी (सोपज्ञवृत्ति विभूषिता): आ. श्रीमद्विजय प्रेमसूरीश्वर, श्री भारतीय - प्राच्यतत्त्व प्रकाशन समिति, पिंडवाडा (राज.), प्रथम, वि. सं. २०२२
गीता विज्ञान : श्री अरविंद, दिव्य जीवन साहित्य प्रकाशन, पांडिचेरी- २, ई. स. १९६५, २४ नवम्बर
गुणस्थान क्रमारोह : श्रीमद् रत्नशेखरसूरि ( स्वोपज्ञकृति ) दिव्यदर्शन ट्रस्ट कुमारपाल वि. शाह, बम्बई, वि. सं. २०३८
गोम्मटसार (जीवकांड या कर्मकांड) भाग-१-२ : श्री नेमिचंद्र सिद्धांत चक्रवर्ति, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, काशी, प्रथम : १९७८,७९
गोम्मट सार (जीवकांड - भाग १-२): श्रीमन्नेमिचंद्र, भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, १९४४
गोरक्ष संहिता :डॉ. चमनलाल गौतम (अनुवादक): संस्कृति संस्थान घेरंड संहिता ः संस्कृति संस्थान कुतुब (वेदनगर); बरेली (उ. प्र.), १९७५
चौद गुणस्थान : नगीनदास गिरधरलाल सेठ, सेठ नगीनदास गिरधरलाल, शांतिसदन २५८, मुंबई, प्रथम
छांदोग्योपनिषद : गीता प्रेस, गोरखपुर, पंचम, सं. २०२३ जम्बु स्वामी चरिउ : वीर कवि, भारतीय ज्ञानपीठ, वाराणसी, प्रथम, १९४४
जीवन भाष्ये (भाग-२): जे.कृष्णमूर्ति, ओरिएंट लॉगमन लिमिटेड,नई दिल्ली १ ५७६
जैन साधना का स्वरूप और उसमें ध्यान का महत्त्व
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org