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सत्यशीलव्रतादीनामहिंसा जननी मता।। ज्ञानार्णव ८/४२ १६३. (क) प्रियं पथ्यं वचस्तथ्यं सुनृतव्रतमुच्यते। तत् तथ्यमपि नो तथ्यम्, अप्रियं चाहितं च यत्।।
योगशास्त्र १/२० (ख) दशवैकालिक ४/६ (ग) दशवैकालिक ६/१३
लोकम्मि सारभूयं गंभीरतरं महासमुद्दाओ थिरतरगं मेरुपव्वयाओ सोमतरगं चंदमंडलाओ दित्ततरं सूरमंडलाओ विमलयरं सरयनहलयलाओ..........
पण्हावागरणं (सुत्तागमे) पृ. १२२७ पण्हावागरणं (सुत्तागमे) पृ. १२२८ १६६. (क) योगशास्त्र १/२२
(ख) ज्ञानार्णव १०/१५ (ग) आचारांगसूत्र (शीलांकायार्च टीका) २/३/१५
(घ) दशवैकालिक ४/७ १६७. द्रव्यादि चार प्रकार की चोरी १६८.(क) आचारांगसूत्र (शीलांकाचार्य टीका) २/३/१५
(ख) स्थानांग सूत्र (आत्मा. म.) ४/१०
(ग). दशवैकालिक ४/८ १६९. देव दानव गन्धव्वा जक्ख-रक्खस किजरा। बम्भयारिं नमंसन्ति दुक्करं जे करन्ति ।।
उत्तराध्ययनसूत्र १६/१६ जहा किम्पाग फलाण, परिणामो न सुन्दरो। एवं भुत्ताणं भोगाणं, परिणामो न सुन्दरो।।
उत्तराध्ययनसूत्र १९/१७ दिव्योदारिक कामानां कृतानुमतिकारितैः। मनो वाक् कायतस्त्यागो ब्रह्माष्टादशधा मतम्।
योगशास्त्र १/२३
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जैन साधना पद्धति में ध्यान योग
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