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८. प्रेक्षाध्यानयोग-साधना
२००-२११ प्रेक्षाध्यान क्या है ? २००, प्रेक्षाध्यान का सूत्र २०१, प्रेक्षाध्यान की विधि एवं प्रकार २०३, (१) कायप्रेक्षा २०३, (२) श्वासप्रेशा २०५, (३) मानसिक संकल्प-विकल्पों की प्रेक्षा २०७, (४) कषायप्रेक्षा २०७, (५) अनिमेष-पुद्गल द्रव्य की प्रेक्षा २०८, वर्तमान क्षण की प्रेक्षा २०६, प्रेक्षाध्यान से साधक को लाभ २१० । ६. भावनायोग साधना
२१२-२३० अनुप्रेक्षा का आशय २१२, बारह वैराग्य भावनाएँ २१३, ध्यान की अपेक्षा से भावनाओं का वर्गीकरण २१३, (१) अनित्यानुप्रेक्षा-शरीरासक्ति का त्याग २१३, अनित्य भावना की साधना के चार सूत्र २१४, (२) अशरण अनुप्रेक्षा-पर-पदार्थों से विरक्ति की साधना २१५, (३) संसार अनुप्रेक्षा-विरक्ति की ओर बढ़ते कदम २१६, (४) एकत्व अनुप्रेक्षा : संयोगों से विरक्ति २१७, (५) अन्यत्व भावना : भेदविज्ञान की साधना २१८, (६) अशुचि भावना : पावनता की ओर प्रयाण २१८, (७) आस्रव भावना : आन्तर् भावों का निरीक्षण २१६, (८) संवर भावना : मुक्ति की ओर चरणन्यास २२०, (९) निर्जरा भावना : आत्मशुद्धि की साधना २२१, धर्मभावना । आत्मोन्नति की साधना २२१, (११) लोक भावना : आस्था की शुद्धि २२१, (१२) बोधिदुर्लभ भावना : अन्तर्जागरण की प्रेरणा २२२, ज्ञान की जुगाली २२३, वैराग्य भावनाएं २२३. अनुप्रेक्षाओं के चिन्तन से लाभ २२४, योगभावनाएं २२५, योग भावनाएं ध्यान को पुष्ट करने वाली २२६, (१) मैत्रीभावना : आत्मौपम्य भाव की साधना २२७, (२) प्रमोद भावना : गुण-ग्रहण की साधना २२७, (३) कारुण्य भावना : अभय की साधना २२८, (४) माध्यस्थ भावना : विपरीतता में समत्व (राग-द्वेष
विजय की साधना) २२६, योग भावनाओं की फलश्रुति २३० । १०. (तपोयोग साधना १.) बाह्य तप : बाह्य आवरण-शुद्धि साधना २३१-२५७
तप का अभिप्राय २३१, तप के लक्षण २३२, तप का महत्व २३३ तप के विभिन्न प्रकार २३३, तप के दो प्रमुख भेद : बाह्य तप और आभ्यंतर तप २३४ विभाजन के कारण २३४, बाह्य तप भी निरर्थक नहीं २३५, बाह्य तप के लाभ २३५, बाह्य तप २३६, (१) अनशन तप : आत्म-आवरणों का शोधन २३६, अनशन तप के शारीरिक और मानसिक लाभ २३७, अनशन तप के भेद-प्रभेद २३८, (२) ऊनोदरी तप : इच्छा नियमन साधना २३६, ऊनोदरी तप के प्रकार २३६, (३) भिक्षाचरी तप : वृत्ति-संकुचन की साधना २४१, योग को अपेक्षा वृत्तिसंक्षेप नाम
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