SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 419
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३४० बन मोप : सिद्धान्त और साधना स्थिति में उसे अपने शरीर का भी भान नहीं रहता, वह शरीर से एक प्रकार से निस्पृह सा हो जाता है। इसका कारण यह है कि इस रंग का ध्यान साधक के आध्यात्मिक, भौतिक और भावनात्मक स्तर को प्रभावित करता है। परिणामस्वरूप साधक की श्रवण (सुनने की), गन्ध (सूघने) की और दृष्टि (देखने की) शक्तियाँ भी प्रभावित हो जाती हैं, उनकी दिशा में ऐसा परिवर्तन आ जाता है कि साधक की बहिर्मुखी प्रवृत्तियाँ अन्तमुखी बनने लगती हैं । लेश्याध्यान का साधक काले रंग की साधना दुष्प्रवृत्तियों के शोधन के लिए करता है। नील लेश्याध्यान और नीले रंग की साधना नील लेश्यावाला व्यक्ति, कृष्ण लेश्यावाले से कुछ ऊपर उठा होता है, अर्थात् नील लेश्या वाला व्यक्ति, कृष्ण लेश्या वाले से कम क र होता है। फिर भी उसमें ईर्ष्या, कदाग्रह, अविद्या, निर्लज्जता, प्रद्वेष, प्रमाद, रसलोलुपता, प्रकृति की क्षद्रता और बिना विचारे कार्य करने की प्रवृत्ति होती है। यदि उसे किसी कार्य में लाभ होता हो तो अन्य व्यक्ति को हानि पहेंचाने में संकोच नहीं करता। आधुनिक भाषा में ऐसे व्यक्ति को स्वार्थी (selfish) कह सकते हैं। योग की अपेक्षा से लेश्याध्यान का साधक काले रंग का परिमार्जन करता हआ, बैंगनी और जामुनी रंग पर ध्यान केन्द्रित करता हआ नीले रंग पर पहुँचता है। उस समय उसकी भाव धारा कुछ विशुद्ध हो जाती है। साधक, इस नीले ध्यान की साधना से मन की शान्ति प्राप्त करता है। उसकी पापवृत्तियाँ शान्त होने लगती हैं तथा स्वार्थीपन की भावधारा कम हो जाती है। वह चारों ओर के वातावरण से अनुकूलन स्थापित करने में सक्षम हो जाता है। ___ शारीरिक दृष्टि से इस ध्यान की साधना द्वारा साधक को सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि उसके नाड़ी संस्थान (nervous system) की उत्त जना कम हो जाती है। यह रक्त (blood) के लिए टॉनिक है। ऊँचे रक्त चाप (high blood pressure) को सामान्य (normal) करने के लिए इस नीले रंग की साधना अधिक उपयोगी होती है। १ उत्तराध्ययन ३४/२२-२४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002077
Book TitleJain Yog Siddhanta aur Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1983
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy