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________________ २१४ जैन योग : सिद्धान्त और साधना से पुवं पेयं, पच्छा पेयं भेउरधम्मं, विद्वंसण-धम्मं, अधुवं, अणितियं, असासयं, चयावचइयं विपरिणामधम्मं, पासह एयं रूवं । - आचारांग ५ / २ / ५०६ अर्थात् - हे साधक ! तुम अपने इस शरीर को देखो। यह पहले अथवा पीछे एक दिन अवश्य ही छूट जायेगा । इसका स्वभाव ही विनाश और विध्वंसन है । यह शरीर अध्रुव, अनित्य और अशाश्वत है । इसका उपचयअपचय होता है । इसकी विविध अवस्थाएँ होती हैं। शरीर के इस रूप को देखो । शरीर की अनित्यता और मृत्यु की अनिवार्यता के बारे में दूसरा साधना सूत्र साधक को दिया णत्थि कालस्स नागमो । - आचारांग २ / २ / २३६ शरीर मरणधर्मा है, यह क्षण प्रतिक्षण मृत्यु की ओर जा रहा है, इस तथ्य को सभी जानते हैं; किन्तु उनका आचरण इसके अनुकूल नहीं होता । माता पुत्र उत्पन्न होते ही भविष्य की आशाएँ- आकांक्षाएँ सँजोने लगती हैं; किन्तु इस तथ्य को नजरअन्दाज कर जाती है मात कहे सुत बाढ़े मेरो । काल कहे दिन आवे मेरो ॥ किन्तु अनित्यभावना का साधक इस लोक परम्परा और लोक धारणा से अलग हट जाता है, वह शरीर के यथार्थ और वास्तविक स्वरूप का चिन्तन करता है । शरीर के सत्य को देखता है, कल्पना, व्यामोह और राग के आवरणों को तोड़कर सत्य का साक्षात्कार करता है । अनित्य भावना का साधक कुछ सूत्रों के अनुसार अपनी साधना करता है । उसका पहला सूत्र होता है - 'इमं सरीरं अजिच्च' यह शरीर अनित्य हैं । दूसरा सूत्र है— 'इमं सरीरं चयावचयधम्मय' - यह शरीर चय - अपचय स्वभाव वाला है । कभी यह पुष्ट होता है तो कभी कृश हो जाता है । तीसरा सूत्र है - ' इमं सरीरं विपरिणामधम्मयं ' - विभिन्न प्रकार के परिणमन इस शरीर में होते रहते हैं । कभी भोजन - पानी से इस शरीर में परिवर्तन होता है तो कभी सर्दी-गर्मी - बरसात के मौसम से । पुद्गलों से परिवर्तन होता है तो कभी मनुष्य की आवेगों-संवेगों से परिवर्तन होता है । इस प्रकार अनेकों प्रकार के परिवर्तन इस शरीर में होते रहते हैं । काल (समय) कृत परिवर्तन तो होते ही रहते हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only कभी दूसरे के संतापी अपनी ही भावनाओं, www.jainelibrary.org
SR No.002077
Book TitleJain Yog Siddhanta aur Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1983
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size22 MB
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