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________________ प्रेक्षाध्यान योग साधना २०३ व्याधि, कष्ट आदि को वह देख और जान तो लेता है, किन्तु उनके साथ तादाम्य का अनुभव नहीं करता अतः उसको वेदना की प्रेक्षा से कष्ट की अनुभूति या तो होती ही नहीं अथवा अत्यल्प मात्रा में होती है । तो, प्रेक्षाध्यान का साधक के लिए महत्त्वपूर्ण सूत्र है - देखना, सिर्फ देखना ही हो, मात्र ! जानना ही हो; उसमें प्रियता अप्रियता, विचार, संकल्पविकल्प आदि न जुड़े । प्रेक्षाध्यान की विधि एवं प्रकार साधना और साधक की सुविधा की दृष्टि से प्रेक्षाध्यान के अनेक भेद अथवा प्रकार भी किये जा सकते हैं; वे हैं - (१) काय प्रेक्षा (२) श्वास- प्रेक्षा (३) मन के संकल्प - विकल्पों की प्रेक्षा (४) कषाय - आवेग संवेगों की प्रेक्षा (५) अनिमेष - पुद्गल द्रव्य की प्रेक्षा और ( ६ ) वर्तमान क्षण की प्रेक्षा । (१) काय- प्रेक्षा मानव शरीर के तीन भेद हैं, अथवा मानव आत्मा पर तीन प्रकार के शरीरों का आवरण है - (१) कार्मण शरीर - अति सूक्ष्म कर्म वर्गणाओं द्वारा निर्मित शरीर । (२) तेजस् शरीर - तेजस् पुद्गल परमाणुओं द्वारा निर्मित शरीर, इसे सूक्ष्म शरीर भी कहा जाता है और आधुनिक वैज्ञानिकों की शब्दावली में यह Etheric body है । (३) औदारिक शरीर - उराल - स्थूल पुद्गलों से निर्मित शरीर, यह स्थूल शरीर है और यही हमें अपने चर्मचक्षुओं से दिखाई देता है । इनमें से कार्मण शरीर चतुःस्पर्शी पुद्गलों से निर्मित अति सूक्ष्म शरीर है अतः छद्मस्थ साधक इसे देखने में सक्षम नहीं हो पाता । साधक औदारिक एवं तैजस् शरीर अथवा स्थूल और सूक्ष्म शरीर की प्रेक्षा करता है । शरीर आत्मा का निवास स्थान है । इसी के माध्यम से चैतन्य की अभिव्यक्ति होती है | अतः साधना की दृष्टि से शरीर का काफी महत्त्व है । क्योंकि यह आत्मा पर पड़े कर्मों के आवरण को दूर करने का शक्तिशाली माध्यम है। साधक इसी की सहायता एवं सम्यक् उपयोग से आत्मा के साथ संश्लिष्ट कर्मों को हटाता है, उनका क्षय करता है । भगवान महावीर ने साधक को एक साधना - सूत्र दिया हैarrera लोग-विपस्सी लोगस्स अहो मामं जाणइ, उड्ढं भागं जाणइ, तिरियं भागं जाणइ । Jain Education International For Private & Personal Use Only - आचारांग २/२/३०२ www.jainelibrary.org
SR No.002077
Book TitleJain Yog Siddhanta aur Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1983
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size22 MB
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