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________________ प्रबिमेवयोग साधना १७६. (१) आत्मा के दर्शन गुण को प्रभावित करने वाली और (२) आत्मा के चारित्र गुण को प्रभावित करने वाली । ग्रंथियाँ कैसे निर्मित होती हैं ? किसी गाँव में एक तालाब था । उसमें एक कछुआ रहता था । तालाब के किनारे पर गाँव के मनुष्य आया जाया-आते थे । उनकी परछाई । संसाराभिमुखी होने से रोकता है । तब उसकी बुद्धि (तर्कणा - हिताहित निर्णायिका शक्ति) का विकास होता है । बुद्धिमय क्षेत्र ही मेधस् का आश्रय स्थान है, आश्रय है और यही ब्रह्मज्ञान का तोरणद्वार है । सुषुम्णा प्रवाह प्रकाशित होने पर साधक वहाँ पहुँच सकता है । तन्त्रयोग में इसी को कुल-कुण्डलिनी जागरण कहा जाता है । इसका साक्षात्कार होते ही जीव को ब्रह्मग्रन्थि शिथिल हो जाती है । षट्चक्रों के अनुसार ब्रह्मग्रंथि तथा उसके स्वामी ब्रह्मा का स्थान नाभिचक्र है । ब्रह्मग्रन्थ भेद सत्य की प्रतिष्ठा है । ब्रह्मग्रन्थिभेद होने पर साधक की आगामी कर्मों (किये जाने वाले कर्म ) के प्रति आसक्ति का नाश हो जाता है । साधक हानि-लाभ, यश-अपयश में अनासक्त हो जाता है, उसकी फलासक्ति छूट जाती है । (२) संचित कर्म अथवा विष्णुग्रन्थि का निवास हृदयचक्र में है । विष्णुग्रन्थिभेद से प्राण प्रतिष्ठा होती है । विष्णु ग्रन्थि का स्थान प्राणमय कोष है । प्राणमय कोष में जीव के अनेक जन्मों के संस्कार संचित रहते हैं । इन्हीं को संचित कर्म कहा गया है । प्राणमय कोष सूक्ष्म शरीर है। सूक्ष्म शरीर में ही संस्कार संचित रहते हैं । संस्कार ही प्राणी के लिए यथार्थ बंधन हैं । साधना क्षेत्र में प्राण का नाम विष्णु है । विष्णुग्रन्थि के भेद के लिए जीव भवबीजीय संस्कारों का विसर्जन करता है, अपने अहं का त्याग करता है और शरणागतियोग की साधना करता है, भगवान तथा सद्गुरु की शरढ़ ग्रहण करता है । इस शरणागतियोग से उसके भवबीजीय संस्कार नष्ट हो जाते हैं और विष्णुग्रन्थि का भेदन हो जाता है, गांठ खुल जाती है । इस ग्रन्थि-भ ेद के फलस्वरूप आत्मा की कामनाओं तथा वासनाओं का विनाश हो जाता है, उसे चित्तविशुद्धि प्राप्त हो जाती है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002077
Book TitleJain Yog Siddhanta aur Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1983
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size22 MB
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