SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 210
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन योग को आधारभूमि : श्रद्धा और शील [२] १३३ कारण है, अतः साधु के सामने जब भय का कारण उपस्थित हो तब उसे भाषण का त्याग करके मौन धारण कर लेना चाहिए। (५) हास्यवश भाषण वर्जन-हँसी-मजाक में भी मुह से झूठ वचन निकल जाने की सम्भावना रहती है। अतः साधु को हास्य नोकषाय के उदय में भाषण का त्याग करके मौन धारण करना चाहिए । इन भावनाओं द्वारा श्रमणयोगी विशेष स्थितियों में मौन धारण करके योग के मौन अंग (भाषण वजनता) की साधना करता है। महर्षि पतंजलि ने कहा है-सत्य में दृढ़ स्थिति हो जाने पर साधक की वाणी सत्य क्रिया-अर्थात् शाप, वरदान, आशीर्वाद देने में पूर्ण सक्षम हो जाती है। (३) अचौर्य महावत : अनासक्तियोग का प्रारम्भ इसका आगमोक्त नाम 'सव्वाओ अविनादाणाओ विरमणं'-'सर्व अवतादान विरमण' है। 'बिना दिये हुए किसी भी अनिवार्य आवश्यकता की वस्तु को न लेना' यह इस महाव्रत का निषेधात्मक रूप है। इसका विधेयात्मक रूप फलित होता है कि श्रमणयोगी को अपने लिए आहार-पानी आदि सभी अनिवार्य आवश्यकता की वस्तुएँ उन वस्तुओं के स्वामी द्वारा सहर्ष दिये जाने पर ही ग्रहण करनी चाहिए। इस महाव्रत की पाँच भावनाएँ ये हैं, जो इसको (अचौर्य महाव्रत को) स्थिरता प्रदान करती हैं। (१) सोच-समझकर वस्तु-स्थान माधि की याचना-साधु को भलीभाँति विचार करके ही वस्तु या स्थान के स्वामी से आवश्यक वस्तुओं की याचना करनी चाहिए। (२) गुरु-आज्ञा से आहार-श्रमणयोगी विधि-पूर्वक लाये हुए आहार को भी पहले गुरु को दिखाये और फिर उनकी अनुमति प्राप्त होने पर भोजन करे। इसके अतिरिक्त गुरु, वृद्ध, रोगी, तपस्वी, ज्ञानी और नवदीक्षित मुनि की वैयावृत्य न करना, सेवा से जी चुराना भी चोरी है। अतः श्रमणयोगी सेवा का अवसर आने पर पीछे न हटे, जी न चुरावे। १ सत्यप्रतिष्ठायां क्रियाफलाश्रयत्वम् । -योगदर्शन २/३६ २ आचारांग, द्वितीय श्र तस्कन्ध, अध्ययन १५, सूत्र ७८४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002077
Book TitleJain Yog Siddhanta aur Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1983
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy