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________________ ( १० ) हेमचन्द्र जी महाराज का भी स्वर्गवास हो गया। किन्तु उनकी विमल कीर्ति सशिष्य के रूप में आज भी जीवित है। श्री भंडारी जी महाराज की सद्प्रेरणा से उनके विद्वान शिष्य प्रवचनभूषण, हरियाणा केसरी श्री अमर मुनि जी महाराज ने स्व० आचार्य सम्राट के साहित्य का पुनरुद्धार करने का बीड़ा उठाया है।। 'जैन तत्त्व कलिका' के रूप में एक ग्रन्थ पिछले वर्ष प्रकाशित किया गया । अब यह प्रस्तुत है जैन योगः सिद्धान्त और साधना। प्रवचनभूषण श्री अमर मुनि जी महाराज ने स्वयं अथक परिश्रम करके तथा विद्वान संपादकों का सहयोग प्राप्त करके आचार्यश्री की कृति को एक नया और व्यापक रूप प्रदान किया है । जो हजारों पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा। . इस ग्रन्थ के सम्पादन में प्रसिद्ध साहित्यकार श्रीचन्द्र जी सुराना एवं डा० ब्रिज मोहन जी जैन का सहयोग प्राप्त हुआ है। साथ ही प्रकाशन में दानवीर गुरुभक्त सेठ दीवानचन्दजी जैन (गीदड़बाहा) तथा धर्मप्रेमी गुरुभक्त दानवीर श्री धनपतराय जी जैन (श्री गंगानगर) ने अर्थ सहयोग प्रदान किया है, इसलिए संस्था की तरफ से दोनों उदार सहयोगियों को शतशः धन्यवाद । - हमें आशा है, आज का युग इस प्रकार के ग्रन्थों से विशेष लाभ उठाकर उपकृत होगा। भवदीय हाकमचन्द जैन मंत्री-आत्म ज्ञानपीठ. मानसा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002077
Book TitleJain Yog Siddhanta aur Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1983
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size22 MB
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