________________
अन्य देव मूर्तियों
नकुलक ) तथा एक हाथ कटयवलंबित है।' दिगम्बर ग्रन्थों में मकरगाह या करिमकर वाहन वाले वरुण के हाथ में केवल पाश ( या नागपाश ) का उल्लेख हुआ है। वायु
__ करण्डमुकुट और मृग वाहन वाले वायु के करों में वरदमुद्रा, अंकुश, ध्वज और जलपात्र दिखाया गया है। पार्श्वनाथ मन्दिर के गर्भगृह-भित्ति की मूर्ति के हाथों में गदा, ध्वज, दण्ड और जलपात्र प्रदर्शित हैं । दिगम्बर ग्रन्थों में वायु को मृगारूढ़ बताया गया है।
बृहद्जठर कुबेर करण्डमुकुट से युक्त हैं। उनके वाहन के रूप में घट का अंकन विशेष महत्व का है क्योंकि अन्यत्र वाहन के रूप में गज का अंकन हुआ है। कुबेर की भुजाओं में बीजपूरक ( या कट्यवलंबित ), चक्राकार पद्म, पद्म ( या पुस्तक ) और धन का थैला प्रदर्शित हैं ।५ जैन ग्रन्थों में शक्तिपाणि कुबेर का वाहन गज ( ? ) या पुष्पक विमान बताया गया है । ईशान्
जटामुकुट से शोभित ईशान् का वाहन नन्दी है। पार्श्वनाथ मंदिर के मण्डप के उदाहरण में उनके हाथों में वरदाक्ष, शक्ति सर्प एवं जलपात्र तथा गर्भगृह के उदाहरण में त्रिशूलसर्प और पद्म हैं । दिगम्बर शिल्पशास्त्रों में वृषभारूढ़ ईशान को सालंकृत और उमा सहित निरूपित किया गया है और उनके करों में त्रिशूल ( या शूल ) और कपाल के प्रदर्शन का उल्लेख किया गया है।
इस प्रकार उपर्युक्त दिक्पाल मूर्तियाँ यद्यपि वाहनों तथा मुख्य आयुधों के सन्दर्भ में दिगम्बर ग्रन्थों के निर्देशों का पालन करती हैं किन्तु उनकी अन्य विशेषताएँ पूरी तरह खजुराहो के ब्राह्मण मंदिरों की दिक्पाल मूर्तियों से प्रभावित हैं ।
१. आदिनाथ मन्दिर की मूर्ति में चारों हाथ खण्डित हैं । २. प्रतिष्ठासारोद्धार ३. १९१ । ३. आदिनाथ मन्दिर की मूर्ति में केवल एक हाथ अवशिष्ट है जो वरदमुद्रा में है। ४. प्रतिष्ठासारोद्धार ३. १९२। ५. आदिनाथ मन्दिर की मूर्ति में चारों हाथ खण्डित हैं। ६. प्रतिष्ठासारोद्धार ३. १९३; शाह, यू० पी०, पूर्व निर्दिष्ट, पृ० ९७ । ७. देवता का एक हाथ खंडित है। आदिनाथ मन्दिर की मूर्ति में दो अवशिष्ट करों में
वरदमुद्रा और त्रिशूल प्रदर्शित हैं । ८. प्रतिष्ठासारोद्धार ३. १९४; प्रतिष्ठासारसंग्रह ६. ९; शाह, यू०पी०, पूर्व निविष्ट,
पृ०९८। ९. विस्तार के लिए द्रष्टव्य, अवस्थी, रामाश्रय, खजुराहो की देव प्रतिमायें, आगरा, १९६७,
पृ० २०७-३८ ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org