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जैन तीथों का ऐतिहासिक अध्ययन
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उल्लिखित कुछ ऐसे तीर्थों से की जा सके, जिनका अभी तक कोई समुचित पहचान नहीं है, यद्यपि यह सम्भावना भी बहुत बलवती नहीं, क्योंकि सामान्य रूप से देवगढ़ और खजुराहो जैसे केन्द्रों, जिनके सम्बन्ध में पुरातात्विक और आभिलेखिक दोनों प्रकार के प्रचुर साक्ष्य हैं, उनके पहचान में इतनी कठिनाई हो । इस प्रकार यह रोचक प्रश्न सम्प्रति विवादग्रस्त ही है और इसका सन्तोषजनक उत्तर देना सम्भव नहीं है ।
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