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विषय प्रवेश
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शेषों और समकालिक प्रमाणों का सदुपयोग कल्पप्रदीप के सूचनाओं की समीक्षा तथा विभिन्न तीर्थों की ऐतिहासिकता के विवेचन के संदर्भ में किया गया है, क्योंकि कल्पप्रदीप के अनेक तीर्थ सामान्यरूप से ब्राह्मणीय और बौद्ध परम्परा में भी तीर्थ रूप में प्रतिष्ठित थे, अतः तीर्थों के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की चर्चा में प्रसंगानुसार जनेतर मान्यताओं में भी उनकी स्थिति का संकेत किया गया है। जहाँतक चौरासीतीर्थनामसंग्रहकल्प में उल्लिखित तीर्थों का प्रश्न है, चूकि उनके बारे में आचार्य जिनप्रभसूरि का विवरण अत्यन्त संक्षिप्त है, अतः उनके सम्बन्ध में प्राप्त अन्य स्रोतों के आधार पर ही उन तीर्थों का विवरण प्रस्तुत किया गया है।
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