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________________ “१२ जैन तीर्थों का ऐतिहासिक अध्ययन इनके अतिरिक्त प्राचीन नगरियों के सम्बन्ध में विद्वानों द्वारा लिखे गये शोध लेख एवं ग्रन्थ भी हमारे लिये अति उपयोगी सूचनायें प्रदान करते हैं । इस सम्बन्ध में ए० कनिंघम,' ए० एस० अल्तेकर,२ नन्दोलाल डे ३, बी. सी. लॉ', केशवराम काशीराम शास्त्री, डी. आर. 'पाटिल, के. सी. जैन आदि का उल्लेख किया जा सकता है । इस प्रकार तीर्थों के इतिहास के स्रोत के रूप में साहित्यिक और पुरातात्विक साक्ष्यों का विपुल भंडार उपलब्ध है। जहाँ तक अध्ययन शैली का प्रश्न है, सर्वप्रथम कल्प में उल्लिखित बातों को सुनियोजित ढंग से प्रस्तुत किया गया है और ऐसा करने में उन तथ्यों पर विशेष ध्यान दिया गया है जो स्पष्टतः ऐतिहासिक महत्त्व के प्रतीत होते हैं, यथा जिनालयों के उल्लेख, उनसे सम्बन्धित 'विशेष व्यक्तियों और घटनाओं के उल्लेख आदि। प्रायः चमत्कारिक और सामान्य रूप से पौराणिक प्रतीत होने वाली कथाओं को विवेचन से बाहर रखा गया है अथवा उनका संकेत मात्र किया गया है। पुनः कल्पप्रदीप में प्राप्त इन सूचनाओं के मूल स्रोत को श्वेताम्बर परम्परा के प्राचीन ग्रन्थों में ढढने की चेष्टा है और इस संदर्भ में आवश्यकतानुसार दिगम्बर ग्रन्थों का भी उपयोग किया गया है। पुरातात्विक अव १. कनिंघम, ए०-आर्कियोलाजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया रिपोर्ट, जिल्द १-३०। २. अल्तेकर, ए० एस०-'ए हिस्ट्री ऑफ ऐन्शेंट सिटीज एण्ड टाउन्स ऑफ गुजरात एण्ड काठियावाड़' इण्डियन ऐन्टीक्वेरी, ई० सन् १९२४-२५ । ३. डे, नन्दोलाल-ए ज्योग्राफिकल डिक्सनरी ऑफ ऐन्शेन्ट एण्ड मिडवल इण्डिया। ४. लॉ, बी०सी ०-हिस्टोरिकल ज्योग्राफी ऑफ एन्शंट इण्डिया। ५. केशवराम काशीराम शास्त्री-प्राचीन भौगोलिक उल्लेखो, (परीख और शास्त्री-संपा० गुजरातनो राजकीय अने सांस्कृतिक इतिहास, भाग १, इतिहासनी पूर्वभूमिका, पृ० १५३-३३६ । ६. पाटिल, डी० आर०-कल्चरल हेरिटेज ऑफ मध्यभारत । ७. जैन, कैलाशचन्द्र-ऐन्ट सिटीज एण्ड टाउन्स ऑफ राजस्थान । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002075
Book TitleJain Tirthon ka Aetihasik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages390
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tirth, & History
File Size14 MB
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