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________________ विषय प्रवेश जहां तक उपरोक्त ग्रन्थों की प्रामाणिकता का प्रश्न है, जैन तीर्थोनो इतिहास और जैनतीर्थसर्वसंग्रह तीर्थों के इतिहास, जिनालयों के निर्माण, पुननिर्माण आदि बातों की चर्चा तो करते हैं, परन्तु इनमें ऐतिहास दृष्टिकोण का प्रायः अभाव है। अनेक स्थलों पर इनमें भ्रामक सूचनायें भी संकलित कर दी गयी हैं । 'भारत के प्राचीन जैन तीर्थ' नामक ग्रन्थ प्राचीन जैन परम्परा के आधार पर जैन तीर्थों का प्रामाणिक विवरण प्रस्तुत करता है, परन्तु इसमें अत्यन्त संक्षिप्त रूप से ही तीर्थों का विवरण है और दूसरे मध्ययुगीन जैन तीर्थों के बारे में तो इससे कोई जानकारी ही नहीं प्राप्त होती, अतः इस दृष्टिकोण से यह ग्रन्थ विशेष उपयोगी नहीं कहा जा सकता। पं० नाथूराम प्रेमी द्वारा लिखे गये तीर्थों संबन्धी उक्त निबन्ध प्रामाणिक तो हैं, परन्तु उनसे कुछ तीर्थो के बारे में ही जानकारी प्राप्त होती है । तीर्थवन्दनसंग्रह में तीर्थ सम्बन्धी प्राचीन विवरणों के अलावा सार संकलन भी दिया गया है, जिसमें तीर्थ विशेष के बारे में दिगम्बर ग्रन्थकारों के विवरणों की चर्चा है। शेष दो ग्रन्थ भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ और तीर्थ दर्शन तो जैन तीर्थ यात्रियों के लिये एक प्रकार से 'मार्गदशिका' ही हैं। इस प्रकार स्पष्ट है कि जैन तीर्थों के सम्बन्ध में अब तक सीमित कार्य हये हैं और वे भी प्रायः जैन उपासकों की तीर्थ यात्रा सम्बन्धी सुविधा को ध्यान में रखते हुये ही लिखे गये हैं । जैन तीर्थों के प्रामाणिक इतिहास का प्रायः अभाव ही है। प्रस्तुत पुस्तक में इसी अभाव की पूर्ति का एक लघु प्रयास किया गया है। जैन तीर्थों के इतिहास की स्रोत सामग्री तीर्थों के इतिहास सम्बन्धी हमारे पास दो स्रोत हैं - १- साहित्यिक २-पुरातात्त्विक । १. साहित्यिक साक्ष्य जैन परम्परा में २४ तीर्थङ्करों की मान्यता है। प्रत्येक तीर्थङ्कर के पंचकल्याणकों से सम्बन्धित स्थल दोनों परम्पराओं ( श्वेताम्बर और दिगम्बर ) में तीर्थरूप में मान्य हैं। श्वेताम्बर परम्परा के आगमों पर लिखे गये नियुक्ति, चूर्णी, वृत्ति एवं भाष्य तथा दिगम्बर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002075
Book TitleJain Tirthon ka Aetihasik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages390
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tirth, & History
File Size14 MB
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