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________________ २४८ पश्चिम भारत के जैन तीर्थ जैन परम्परा में भी इस नगरी का बड़ा महत्त्व है। जैन मान्यतानुसार यहाँ जैन आगमों की दो वाचनायें हुईं। प्रथम वाचना वीरनिर्वाण के ८२७ या ८४० वर्ष पश्चात् स्कन्दिलसूरि की अध्यक्षता में मथुरा में हुई, इसी वर्ष वलभी में भी नागार्जुन की अध्यक्षता में एक संगीति हुई। इस संगीति के पश्चात् नागार्जुन और स्कन्दिलसूरि परस्पर मिल न सके, जिससे दोनों वाचनाओं के पाठों में अन्तर बना रहा । वीर निर्वाण के ९८० अथवा ९९३ वर्ष पश्चात् वलभी में देवधिगणिक्षमाश्रमण ने आगमों की पूनः वाचना करायी और इन्हें लिपिबद्ध कराया। यह कार्य ध्र वसेन 'प्रथम' के समय सम्पन्न हुआ। इसी वर्ष राजा के पुत्र का आनन्दपुर में निधन हो गया, उस समय राजा के शोक को दूर करने के लिये यहाँ सार्वजनिक रूप से प्रथम बार कल्पसूत्र की वाचना की गयी। जैनों की उक्त मान्यता त्रुटिपूर्ण है, क्योंकि ध्र वसेन 'प्रथम' का समय ई० सन् ५२०-५५० माना जाता है और जब कि यह संगीति वीरनिर्वाण संवत् ९८० या ९९३/ई० सन् ४५३ अथवा ४६६ में हुई थी, अतः ध्र वसेन 'प्रथम' के समय वलभी की दूसरी संगीति होने का प्रश्न ही नहीं उठता। ___जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण द्वारा रचित विशेषावश्यकभाष्य की वि० सं० ६६६ में लिखी गयी प्रतिलिपि को यहाँ के एक जिनालय में समर्पित किया गया। इससे यह स्पष्ट है कि उस समय यहाँ पर जिनालय विद्यमान थे,परन्तु आज यहाँ कोई प्राचीन जिनालय विद्यमान नहीं हैं। जैन प्रबन्ध-ग्रन्थों में मल्लवादिसूरि का कथानक प्राप्त होता है, विवरणा१. मुनि कल्याणविजय-वीरनिर्वाण सम्वत् और जैन कालगणना, पृ० ११० और आगे। २. वही, पृ० ११२-११३ । ३. परीख और शात्री-पूर्वोक्त, भाग ३, पृ० २६० पादटिप्पणी संख्या २१ । ४. वही, पृ० ३९। ५. मालवणिया, दलसुखभाई डाह्याभाई-गणधरवाद, प्रस्तावना, पृ० २७-३३ । ६. "मल्लवादिसूरिचरितम्''-प्रभावकचरित, संपा० जिनविजय, पृ० ७७-७९ "मल्लवादिप्रबन्ध"-प्रबन्धचिन्तामणि, संपा० वही, पृ० १०७-१०९ । “मल्लवादिसूरिप्रबन्ध-प्रबन्धकोश, संपा० वही, पृ० २१-२३ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002075
Book TitleJain Tirthon ka Aetihasik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages390
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tirth, & History
File Size14 MB
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