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________________ जैन तीर्थों का ऐतिहासिक अध्ययन २२९ कन्या सुभगा के सम्बन्ध में इस स्थान का उल्लेख है ।' पुरातनप्रबंधसंग्रह में भी इसी संदर्भ में खेटक का उल्लेख है। प्रभावकचरित के 'बप्पभट्टिसूरिचरित' के अनुसार नन्नसूरि और गोविन्दसूरि 'खेटकाधारमण्डल' में निवास करते थे। प्रबंधकोश में भी यही बात कही गयी है। उपरोक्त विवरणों में कहीं भी यह उल्लेख नहीं मिलता कि खेटकमंडल में महावीर स्वामी का कोई जिनालय था। सिद्धसेनसूरि ने सकलीतीर्थस्तोत्र में यद्यपि इस स्थान का उल्लेख जैन तीर्थों के साथ किया है, परन्तु यहाँ महावीर स्वामी के मन्दिर होने की बात नहीं कही गयी है। यहाँ कोई प्राचीन जैन मन्दिर भी विद्यमान नहीं है, तथापि जिनप्रभसूरि के उक्त मत को अस्वीकार नहीं किया जा सकता। संभव है उनके समय में यहाँ महावीर स्वामी का कोई जिनालय रहा हो। खेटक को गुजरात राज्य में अवस्थित वर्तमान खेड़ा से समीकृत किया जाता है। श्री भंवरलाल नाहटा ने युगप्रधानाचार्यगुर्वावली के विभिन्न उल्लेखों के आधार पर राजस्थान प्रान्त में नाकोडाजी तीर्थ के निकट स्थित लवणखेट को कल्पप्रदीप में उल्लिखित खेड़ा से समीकृत करने पर बल दिया है। १. अथ खेडमहास्थाने देवादित्यविप्रपुत्री बालकालविधवा अतिरूपपात्रं ..... । "मल्लवादिप्रबन्ध'' ( प्रकीर्णक), प्रबन्धचिन्तामणि पृ० १०६; प्रबन्ध कोश के "मल्लवादिप्रबन्ध'' पृ० २१ में भी यही कथा दी गयी है । २. अस्मदीयगुरोः शिष्योः खेटकाधारमंडले । विद्यते नन्नसूरिः श्रीगोविन्दसूरि रित्यपि ॥ ४८२ ॥ "बप्पभट्टिसूरिप्रबन्ध" प्रभावकचरित, पृ० ९९ । ३. डे, नन्दोलाल – ज्योग्राफिकल डिक्सनरी ऑफ ऐन्शेन्ट एण्ड मिडवल इंडिया, पृ० १००। ४. नाहटा, भंवरलाल-'कल्पप्रदीप में उल्लिखित खेड़ा गुजरात का नहीं राजस्थान का है" श्रमण-वर्ष ४०, अंक ११, पृ० २५-२८ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002075
Book TitleJain Tirthon ka Aetihasik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages390
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tirth, & History
File Size14 MB
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