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________________ जैन तीर्थों का ऐतिहासिक अध्ययन १६३ चन्देरी में ३ जैन मंदिर हैं। इनमें से दो दिगम्बर आम्नाय के हैं और एक श्वेताम्बर आम्नाय से सम्बन्धित है। यह जिनालय अर्वाचीन है। दिगम्बरों के जो दो जिनालय हैं उनमें से एक अपेक्षाकृत प्राचीन है। इस जिनालय में कुछ मध्ययुगीन जैन प्रतिमायें हैं, सौभाग्य से उनमें से कुछ पर लेख भी हैं । उनका विवरण इस प्रकार है --- पार्श्वनाथ की प्रतिमा - वि० सं० १२५२ का लेख पद्मावती की प्रतिमा - वि० सं० १२९१ का लेख तीर्थङ्कर प्रतिमा - वि० सं० १३१६ का लेख दिगम्बर आम्नाय का दूसरा जिनालय वि० सं० १८९३ में निर्मित है, जिसमें २४ तीर्थङ्करों की विशाल प्रतिमायें प्रतिष्ठित बूढ़ीचन्देरी में भी ११वी १२वीं शती के पांच जैन मंदिर खण्डहर के रूप में विद्यमान हैं। चन्देरी दुर्ग और करीघाटी के मध्य खण्डारपहाड़ी में चट्टानों को काटकर मूर्तियां व गुफायें बनायी गयी हैं। इन गुफाओं की संख्या ६ है। इनमें से ५ सोलहवीं शती में तथा एक १३वीं शती में निर्मित है। इस प्राचीन गुफा में वि० सं० ११३२ का एक लेख उत्कीर्ण है। गुफा में १० तीर्थङ्कर प्रतिम यें तथा १३ यक्षी प्रतिमायें हैं, इन पर वि०सं० १२८३ के लेख उत्कीर्ण बताये जाते हैं।" - चन्देरी से ६ किमी० दूर मुंगावली तहसील के सिद्धपुरा नामक ग्राम में एक पहाड़ी है, जिसे गुरिलागिरि कहते हैं । इस पहाड़ी पर पाड़ाशाह नामक एक जैन श्रावक ने १२वीं शती में शान्तिनाथ के १. ग्वालियर पुरातत्त्व रिपोर्ट ( १९२४-२५ ) पृ० १२ । २. वही, पृ० १२। ३. वही। ४. शर्मा, राजकुमार-मध्यप्रदेश के पुरातत्त्व का संदर्भग्रंथ, संख्या १२७०। ५. जैन, बलभद्र-भारत के दिगम्बर जैनतीर्थ, भाग ३; पृ० ९७-९९ । ६. ग्वालियर पुरातत्त्व रिपोर्ट-(१९२४-२५) पृ० १२। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002075
Book TitleJain Tirthon ka Aetihasik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages390
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tirth, & History
File Size14 MB
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