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________________ जैन तीर्थों का ऐतिहासिक अध्ययन ११९ पौत्र और सोमप्रभ का पुत्र बतलाया गया है, जबकि जिनप्रभ ने उन्हें बाहुबलि का पुत्र बतलाया है। ___ शान्तिनाथ, कुन्थुनाथ और अरनाथ के जन्म आदि कल्याणकों सम्बन्धी विवरण जैन परम्परा पर आधारित हैं। दोनों सम्प्रदायों के ग्रन्थों में इनका विस्तार से उल्लेख मिलता है।' जिनप्रभ द्वारा उल्लिखित विष्णुकुमार और नमुचि सम्बन्धी कथा की चर्चा श्वेताम्बर परम्परा के ग्रन्थों में मिलती है। यह कथा ब्राह्मणीय परम्परा में प्रचलित विष्णु और बलि की कथा का जैन रूपान्तर है । जैनों ने बलि को नमुचि कहा है। ___ श्वेताम्बर जैन परम्परा' में सनत्कुमार, महापद्म और सुभूम की गणना चोथे, आठवें और नवे चक्रवर्ती के रूप में की जाती है और उन्हें इसी नगरी से सम्बन्धित बतलाया गया है। जिनप्रभसूरि ने भी यही बात कही है। इसी प्रकार परशुराम की कथा आवश्यकचूर्णी" और विशेषावश्यकभाष्य में प्राप्त होती है । पाण्डव पाण्डु के पुत्र और हस्तिनापुर के राजा थे। जैन ग्रन्थों में इनके बारे में विस्तार से चर्चा मिलती है। १. [अ] तीर्थोदगारित-५०५-७०; उत्तराध्ययनवृत्ति ( कमलसंयम ) . पृ० ३३२ [ब] तिलोयपण्णत्ती ४।५४०-४३ अरश्च कुन्थुश्च तथैव शान्तिस्त्रयोऽपि ते नागपुरे प्रसूताः ॥ वराङ्गचरित २७।८५ हरिवंशपुराण ६०।१९७-१९९ उत्तरापुराण ६४।१२; ६५।१४; ६३।३४३ २. अमरचन्द्र-हस्तिनापुर (वाराणसी १९५२) पृ० २०-२१ । ३. सेक्रेड बुक्स ऑफ द ईस्ट-जिल्द ४५, पृ० ८६, पादटिप्पणी १ में जैकोबी का मत। ४. मेहता और चन्द्रा-पूर्वोक्त, पृ० ८७३ । ५. आवश्यकचूर्णी-पूर्वभाग, पृ० ५२०-५२१ । ६. विशेषावश्यकभाष्य-३५७५ ।। ७. मेहता और चन्द्रा-पूर्वोक्त, पृ० ८७३ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002075
Book TitleJain Tirthon ka Aetihasik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages390
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tirth, & History
File Size14 MB
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