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________________ ८५ जैन तीर्थों का ऐतिहासिक अध्ययन सम्बन्धित रहे होंगे। जैन परम्परानुसार कृष्ण नवें वासूदेव थे।' ब्राह्मणीय परम्परा' में उन्हें विष्णु के अवतारों में गिना जाता है। दोनों ही धर्मों में उनका जन्म स्थान मथरा ( गोकल ) स्वीकार किया गया है। परन्तु जिनप्रभ ने उनका जन्मस्थान अहिच्छत्रा बतलाया है जो भ्रामक है । अहिच्छत्र की पहचान बरेली जिले के आंवला तहसील में स्थित रामनगर नामक स्थान से की जाती है। यहां दोनों सम्प्रदायों के अलग-अलग जिनालय विद्यमान हैं जो वर्तमान युग के हैं। ३. काम्पिल्यपुरकल्प काम्पिल्य पांचाल जनपद की राजधानी और भारतवर्ष की एक प्रसिद्ध नगरी थी। ब्राह्मणीय, बौद्ध और जैन साहित्य में इसके बारे में 'विवरण प्राप्त होता है। महाभारत में काम्पिल्य को दक्षिण पांचाल की राजधानी बतलाया गया है। जैन मान्यतानुसार १३ वें तीर्थङ्कर विमलनाथ का यहाँ जन्म हुआ, इसीलिए यह जैन तीर्थ के रूप में 'प्रसिद्ध हुआ । जिनप्रभसूरि इस तीर्थ के सम्बन्ध में जिन मान्यताओं का उल्लेख किया है, वे संक्षेप में इस प्रकार हैं "जम्बूद्वीप दक्षिण भरत खण्ड के पूर्व दिशा में पांचाल जनपद के अन्तर्गत गंगा नदी के तट पर काम्पिल्य नगरी बसी हुई है । यहाँ १३वें तीर्थङ्कर विमलनाथ के च्यवन, जन्म, राज्याभिषेक, दीक्षा और केवलज्ञान ये ५ कल्याण क हुए। उनके पिताका नाम कृतवर्मा और माता का नाम सोमादेवी था । यहाँ उनके ५ कल्याणक होने तथा उनका लांछन शकर होने के कारण इस नगरी को पंचकल्याणक नगर और शकर क्षेत्र भी कहा जाने लगा । दसवें चक्रवर्ती हरिषेण तथा १२ वें चक्रवर्ती ब्रह्मदत्त भी यहीं उत्पन्न हए। कौण्डिन्य का शिष्य अश्वमित्र जो वीर निर्वाण के २१० वर्ष पश्चात् चतुर्थ निह्नव हुआ, भ्रमण करते हुए इम नगरी में आया था। यहाँ के राजा संजय ने गर्दभिल अणगार से दीक्षा लेकर सद्गति पायी। पिंढ़र और जसवती का पुत्र गांगली १. समवायाङ्ग १५९, उत्तराध्ययन २२।८, २५, ३१; आवश्यकचूणी', पूर्व भाग, पृ० २३५ २. पाण्डेय, राजबली-पुराणविषयानुक्रमणिका, पृ० ७४ ३. डे, नंदोलाल-ज्योग्राफिकल डिक्शनरी ऑफ ऐशियन्ट एण्ड मेडवल इंडिया, पृ० ८८ ४. तीर्थदर्शन,भाग १, पृ० ११९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002075
Book TitleJain Tirthon ka Aetihasik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages390
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tirth, & History
File Size14 MB
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