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________________ ६८ तीर्थों का विभाजन आन्ध्रप्रदेश एवं केरल आदि प्रांतों में अवस्थित हैं । ग्रन्थकार ने तीर्थों का कोई भी वर्गीकरण नहीं किया है। न तो उन्होंने तीर्थों का कल्याणकक्षेत्र, सिद्धक्षेत्र और अतिशयक्षेत्र आदि में विभाजिन किया है और न ही उनको भौगोलिक स्थिति के अनुसार ही रखा है। चकि ग्रन्थकार द्वारा उल्लिखित तीर्थ प्रायः सम्पूर्ण भारतवर्ष में हैं और व छ तीर्थों को वे स्वयं उनकी भौगोलिक स्थिति, यथा-अमुक तीर्थ पूर्व देश में स्थित है, अमुक पश्चिम देश में, अमूक दक्षिण देश में है; आदि बतलाते हैं, अतः सुविधा के लिये उन्हें निम्नलिखित विभागों में बांटते हुए वर्णक्रमानुसार उनका अध्ययन प्रस्तुत किया गया है १-उत्तर भारत- उत्तरप्रदेश २-पूर्व भारत- बिहार, बंगाल और उड़ीसा ३-मध्य भारत- मध्यप्रदेश ४-पश्चिम भारत- राजस्थान और गुजरात ५-दक्षिणापथ एवं दक्षिण भारत- महाराष्ट्र, आन्ध्रप्रदेश, कर्णाटक और केरल १-उत्तर भारत इस विभाग के अन्तर्गत वर्तमान उत्तरप्रदेश में स्थित तीर्थों का अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। इनकी वर्णक्रमानुसार सूची इस प्रकार है १-अयोध्या २-अहिच्छत्रा ३-काम्पिल्य ४-कौशाम्बी ५--चन्द्रावती ६-प्रयाग ७-मथुरा ८-रत्नवाहपुर ९-वाराणसी १० -विन्ध्याचल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002075
Book TitleJain Tirthon ka Aetihasik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages390
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tirth, & History
File Size14 MB
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