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भारत पर मुस्लिम राज्य 1
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सिले कासिम के मृत शरीर को बाहर निकलवाया और वड़े राव भरे स्वर में बोला "खुदा के खलीफा की अवज्ञा करने वालों को हम इस प्रकार का कड़े से कड़ा कठोर दण्ड देते हैं ।"
अपनी मातृभूमि आर्यधरा के अंगस्वरूप सिन्धु प्रदेश की स्वतन्त्रता का अपहरण करने वाले आततायी मुहम्मद कासिम के निष्प्राण शरीर को देखते ही निस्सीम संतोष एवं अनिर्वचनीय प्रसन्नता से उन दोनों राजकुमारियों के मुखकमल पारावारविहीन परम सन्तोष से प्रमुदित, प्रदीप्त एवं प्रफुल्लित हो उठे । अपने अन्तस्तल में धुकधुकाती प्रतिशोध की अग्नि के स्वयं द्वारा आविष्कृत चमत्कारपूर्ण चतुराई की चाल से अपनी शत-प्रतिशत प्रशानुरूप पूर्णतः शान्त कर लिये जाने पर उन दोनों सिन्धुराज राजदुलारियों ने अपने आपको कृतकृत्य समझा । अब उन्हें अपने जीवन से रंचमात्र भी मोह नहीं रहा । जीवित ही अग्नि ज्वालाओं में जला दिये जाने की अपनी आन्तरिक ललक की पृष्ठभूमि का निर्माण करती हुई,
खिली नवकलियों सी सुकोमल सुकुमार राजकुमारियों ने खलीफा वलीद को ईसत् स्मित मुद्रा में सम्बोधित कर कहा - "प्रो खलीफा ! हमारा कौमार्य, हमारी अस्मत, हमारा सतीत्व पूर्णतः सुरक्षित एवं अक्षत है । कासिम ने हमें सदा सहोदरा हमशीरात्रों की भांति समझा । उसके इस अनुपम बेमिसाल गुरण की जितनी प्रशंसा की जाय, उतनी ही थोड़ी है, किन्तु उसने आपके आदेश से हमारे माता-पिता, भ्राता एवं देश के नौनिहालों को मौत के घाट उतार कर हमारी प्राणाधिक प्रिया स्वर्गादपि गरीयसी मातृभूमि सिन्ध प्रदेश की स्वाधीनता को नष्ट किया है । उसके और आपके इस कभी न भुलाये जाने वाले वैर का बदला लेने की उत्कट अभिलाषा से ही हमने अन्य क्षत्रिय रमणीरत्नों, एवं कुमारियों की भांति अपने आपको जौहर की ज्वालाओं में न जला कर आप तक पहुंचने का उपक्रम किया है । कासिम को उसके महत्वाकांक्षी जीवन से और आपको तथा आपके देश को एक मेधावी रणशौंडीर सेनापति से वंचित कर हमने प्राततायियों के अक्षम्य अपराधपूर्ण वैर का प्रतिशोध ले अपने रोम-रोम को जलाने वाली इन्तकाम की आग को शान्त कर लिया है । अब हम मृत्यु का आलिंगन करने के लिये सहर्ष समुद्यत हैं । हमें संतोष है कि बैल के गीले चमड़े में सिले जा कर कासिम ने दुस्सह्य दारुण दुःखभरी मारणान्तिकी पीड़ाओं से निरन्तर तीन दिन तक तड़प-तड़प कर बैल की मौत मर प्रातंक भरी अत्याचारपूर्ण करणी का कटुतम फल पा लिया और कामान्ध हो आपने जो किसी प्रकार की छानबीन के अपने सर्वाधिक सुयोग्य एवं सच्चे स्वामिभक्त सेनापति को बेरहमी से मरवा डाला है, उसके लिये आप जीवन भर पश्चात्ताप की आग में जलते रहेंगे ।"
उन राजकुमारियों की बात सुन कर खलीफा अपनी भूल के लिये पश्चाताप के सागर में गोते लगाता रहा । कर्ण परम्परा से इस प्रकार की किंवदन्ती चली आ रही है कि खलीफा ने उन दोनों राजकुमारियों को तत्काल अपनी दृष्टि
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