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________________ ५८ ] [ जैन धर्म का मौलिक इतिहास - भाग ४ तामिलनाडु के उस एकेश्वरवाद का शंखनाद कालान्तर में न केवल भारत के अन्यान्य प्रान्तों में ही अपितु संसार के अन्य देशों में भी गुजरित - प्रतिध्वनित हो उठा । इस्लाम का प्रभ्युदय अरब देश में भी उस समय ( ईसा की छठी - सातवीं शताब्दी में ) छोटे-बड़े ऊंच-नीच, कबीलों के विभेद, धर्मभेद, मत-मतान्तर, मूर्तिपूजा के प्राचुर्य प्रादि कारणों से भारत के समान ही पारस्परिक कलहपूर्ण स्थिति उत्तरोत्तर बढ़ती जा रही थी । भिन्न-भिन्न कबीलों ने जातियों का रूप धारण कर लिया था । प्रत्येक जाति अपना सर्वाधिक वर्चस्व स्थापित करने की स्पर्धा में उतर चुकी थी । इस स्पर्धा में प्रत्येक जाति के लोग अपने-अपने देवताओं की मूर्तियां अरब देश के प्रमुख तीर्थ-स्थल मक्का में ऐसे महत्त्वपूर्ण स्थान पर स्थापित करने के लिए कटिबद्ध रहते, जिससे कि मक्काशरीफ तीर्थ-स्थल उसी जाति अथवा कबीले का तीर्थ-स्थल प्रतीत हो । इस प्रकार की स्पर्धा ईसा की छठी-सातवीं शताब्दी में संघर्ष, विवाद एवं पारस्परिक कलह का रूप धारण कर चुकी थी । यद्यपि अरब देश में उस समय भी मूलतः यही मान्यता प्रचलित थी कि एकमात्र अल्लाह ही सर्वशक्तिमान् ईश्वर है तथापि भिन्न-भिन्न जातियों द्वारा अपने-अपने पृथक्-पृथक् देवता को ही सबसे बड़ा मानने के हठाग्रह के परिणामस्वरूप विभिन्न जातियों में उत्पन्न हुई प्रतिस्पर्धा ने सर्वशक्तिमान अल्लाह की मान्यता को लोगों में गौण बना दिया था । " लब्धप्रतिष्ठ इतिहासज्ञ राय बहादुर पण्डित गौरीशंकर हीराचन्द प्रोभा के अनुसार धर्मभेद, जातिभेद एवं भिन्न-भिन्न देवताओं की मूर्तियों की पूजा के प्रश्न को लेकर उत्पन्न हुई संघर्षपूर्ण स्थिति के अतिरिक्त उस समय अरब देश में छोटेबड़े राजाओंों एवं सरदारों का भी बाहुल्य था, जिनमें परस्पर छोटी-बड़ी लड़ाइयां प्रायः चलती ही रहती थीं। छोटे-बड़े झगड़े तो उनमें निरन्तर चलते ही रहते थे । वहां की साधारण जनता प्रायः असभ्य और प्रशिक्षित थी । इस प्रकार की देशव्यापी पारस्परिक कलहपूर्ण परिस्थितियों में वि० सं० ६२८ तद्नुसार ई० सन् ५७१ में कुरेश जाति में मुहम्मद नामक एक महापुरुष का जन्म हुआ । मुहम्मद साहब के पूर्वपूरुष कुरेश रेगिस्तान से आकर मक्का में रहने लग गये थे । यद्यपि मुहम्मद साहब का जन्म मक्का नगर में हुआ था तथापि रेगिस्तानी जीवन के अनुभव के लिये बाल्यकाल में उन्हें समय-समय पर रेगिस्तान के पैत्रिक ग्राम में भेजा जाता रहा । इस प्रकार मुहम्मद साहब का अधिकांश बाल्यकाल १. २. एन्साइक्लोपीडिया ऑफ रिलीजन्स ग्रॉफ दी वर्ल्ड राजपूताने का इतिहास, खण्ड १, ५०४, पृ० २४७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002074
Book TitleJain Dharma ka Maulik Itihas Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year1995
Total Pages880
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size16 MB
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