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________________ सामान्य श्र तधर काल खण्ड २ ] लोकाशाह [ ६७७ द्रव्य स्यु कीजइ ? व्याजई दीजइ ? के व्यवसाय कीजइ ? किम करी वधारीइ ? सिद्धान्त माहि किम कहिउं छइ ? एह चउत्रीसमु बोल । ३५. पांत्रीसमु बोल : हवइ पांत्रीसमु बोल लिखीइ छइ । अट्टोत्तरी सनाथनी विधि, आरती मंगलेषु, पहिरामणी नी विधि, जेह लण सचित्त अगनिमाहिं होमीइ छइ, तेह सघली विधि किहां सिद्धान्तमाहिं कही छइ ? ते काढि देखाड़उ । सिद्धान्त माहिं श्रावकनई इग्यारमी प्रतिमा अाराधवी कही छइ। तिहां कांइं पूजा करवी कही नथी, अनइ हमणां पहिली प्रतिमाहि त्रीकाल पूजा करावई छइं, ते केहा सिद्धान्त माहिं कही छइ ? एह पांत्रीसमु बोल । ३६. छत्रीसमु बोल : हवइ छत्रीसमु बोल लिखीइ छइ। श्री महावीरइं सिद्धान्त माहि तीर्थ बोलियां छई। चतुर्विधसंघ तीर्थ-महात्मा, महासती, श्रावक, श्राविका। अनइ वलि परदर्शनिनां तीर्थ सिद्धान्त माहिं कहियां छई, मागध तीर्थ १, वरदाम तीर्थ २, प्रभास तीर्थ ३, वीतरागि सिद्धान्त माहिं परदर्शनिना तीर्थ बोल्यां, अनइ सेत्तुज गिरिनार पाबू अष्टापद जोराउलउ-एह तीर्थ सिद्धान्त माहिं किहाइं न बोलियां, तु इम जाणिवउं एह तीर्थ न हुई। एह छत्रीसमु बोल । ३७. सांत्रीसमु बोल : हवइ सांत्रीसमु बोल लिखीइ छइ। ठवणहारि लाकड़ानें, सूर्यकान्तिनु अकिखनु वराड़नु-एहनी प्रतिष्ठा करीनइ थापनाचार्य करी थापइ छइ । प्राचार्य ना गुण छत्रीस, अथवा वली ज्ञान दर्शन चारित्र तप । एहनु तु एकइ गुण ठवणहारि माहिं दीसतो नथी। जि वारई न हतु प्रतिष्ठयउ तिवारइ जेहवु हतु अनइ प्रतिष्ठिउ परिण तेहवु दीसइ छइ । ठवरण हारि माहिं पहिलं अनइ पछइ गुण दीसता नथी। थापनाचार्य थापीनइ तेह आगलि अनुष्ठान करइ छइ,. खमासमण देइनइ वांछइ छइ, अनइ वली तेह जि ठवणहारीनइं पूठि देइनइ बइसइ छइं, तु ते अाशातना नथी हती, तेहनई पूठि देइनइं किम बइसइ ? एह तु विपरीत उपराहु दीसइ छइ । एह सांत्रीसमु बोल । ३८. अठत्रीसमु बोल : हवइ अठत्रीसम् बोल लिखीइ छइ । श्री अरिष्टनेमिनइ वारइ पांच पांडव हुआ इम कहइं छइं । पांडवइ शत्तुंजा ऊपरि उद्धार कराव्यु, प्रासाद प्रतिमा करावी, अनइ तेरणइ जि वारइं-श्री थावच्चापुत्त अरणगार १००० परिवार संघातिई, शुक अरणगार १००० परिवार संघातिइं, सेलग राजर्षि अरणगार ५०० संघातिइं, अनइ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002074
Book TitleJain Dharma ka Maulik Itihas Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year1995
Total Pages880
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size16 MB
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