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सामान्य श्रुतधर काल खण्ड २ ] लोकाशाह
[ ६७५ वांदीइ ?" सिद्धान्त मांहि मोक्षमार्गइं वंदनीक गुण छई। विवेकी हुई ते विचारी जोज्यो । एह त्रेवीसमुं बोल ।
२४. चउवीसमो बोल:
हवइ चउवीसमु बोल लिखीइ छइ। तथा श्री वीतरागइं सिद्धान्त माहि प्रतिमा आराध्य न कही, अनइ जिको प्रतिमा आराध्य कहइ छइ, तेह कन्हइ एहवा एहवा बोल पूछीइ छइ । ते बोल लिखीइ छइ-"प्रतिमा स्याहनी कराववी कही छइ ? चन्द्रकांत नी ? सूर्यकांतनी ? वैडूर्यनी? पाषाणनी? सप्त धातनी ? काष्ठनी ? लेपनी ? चीतारानी ? सिद्धान्त माहि केहवी कही छइ ?” एह चउवीसमु बोल । २५. पंचवीसमु बोल :
हवइ पंचवीसमु बोल लिखीइ छइ। प्रतिमानी चउरासी आशाता किहां कही छइ, जु चउरासी आशातना हसिइ, तु प्रतिमा आराध्य हसिइ, अनइ जउ आशातना चउरासी नहीं हुइ, तउ प्रतिमा आराध्य नथी। सही जाणज्यो। तथा सिद्धान्त माहिं गुरु आचार्य उपाध्याय कहिया छइ, ठामि ठामि जु आचार्य उपाध्याय कहिया छई, तउ आशातना ३३ कही छइ, अनइ सिद्धान्त माहिं प्रतिमा केही आराध्य नथी कही, तु चउरासी आशातना नथी कही, अनइ जु सिद्धान्त माहि हुइ त उ देखाड़उ । एह पंचवीसमु बोल । २६. छवीसमु बोल :
हवइ छवीसमु बोल लिखइ छइ । प्रतिमानी, प्रासादनी, दंडनी, ध्वजनी प्रतिष्ठा किहां कही छइ ? प्रतिष्ठा श्रावक करइ के साधु करइ ? अांचलीआ कहइ छइं-"श्रावक करइं", बीजा गच्छ कहई छई-"महात्मा करइ" सिद्धान्त माहिं किम कहिउं छइ ? एह छवीसमु बोल । २७. सत्तावीसमु बोल :
हवइ सत्तावीसमु बोल लिखइ छइ । दिगम्बर खमण कहइं-"प्रतिमा नग्न कीजइ, श्वेताम्बर कहइं-'नग्न न कीजइ" सिद्धान्त माहिं किम कहिउं छइ ? ते देखाडु, एह सत्तावीसमु बोल ।
२८. अठावीसमु बोल :
हवइं अठावीसमु बोल लिखीइ छइ। तीर्थंकर जि वारइ मोक्ष पुहता तिवारइ अणसण (नासण कीधां, पालठी वाली पर्यकासन, ऊभा काउसम्गि,
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