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जन्म
श्रमण भ. महावीर के ५५वें पट्टधर आ. श्री जीवराज जी महाराज
वीर नि० सं० १७०६ दीक्षा
१७२२ आचार्यपद
१७५८ स्वर्गारोहण
१७७६ गृहवास पर्याय
१३ वर्ष सामान्य साधु पर्याय
३६ वर्ष आचार्य पर्याय
२१ वर्ष पूर्ण संयम पर्याय
५७ वर्ष पूर्ण आयु
७० वर्ष प्राचार्यश्री महासेन के स्वर्गस्थ हो जाने पर वीर नि० सं० १७५८ में चतुर्विध संघ ने मुनिश्री जीवराज जी को प्राचार्यपद के सर्वथा सुयोग्य समझकर श्रमण भगवान महावीर की विशुद्ध मूल परम्परा के ५५वें पट्टधर के रूप में प्राचार्य पद पर आसीन किया।
___ आपने अपने २१ वर्ष की प्राचार्य-पर्याय और ५७ वर्ष की पूर्ण संयम पर्याय में धर्म के वास्तविक मूल स्वरूप को यथावस्थित रूप में अक्षुण्ण बनाये रक्खा । आपके समय में चारों ओर शिथिलाचार का प्राबल्य होते हुए भी आपने अपने अनुयायी साधु-साध्वी, श्रावक-श्राविका वर्ग को बाह्याडम्बर विहीन आगम सम्मत, विशुद्ध मूल पथ पर गतिशील बनाये रक्खा । अन्ततोगत्वा आपने वीर नि. सं. १७७६ में विशुद्ध भाव से आलोचना-संलेखना-संथारापूर्वक समाधिस्थ हो ७० वर्ष की आयु पूर्ण कर स्वर्गारोहण किया।
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