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सामान्य श्रुतधर काल खण्ड २ ]
अंचलगच्छ
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that died at the age of 91 in samvat 1226. He was called Goduha (गोदुह) by his father, Vijaichandra by his guru and Arya Rakshita by his Suri. In the Pattavali of Anchal Gachchha (Bombay Ed. 1889) it is stated that Arya Rakshit founded the Gachchha in samvat 1169.
डा० क्लाट ने प्रोफेसर पीटर्सन से अपना कुछ अंशों में भिन्न अभिमत व्यक्त करते हुए लिखा है :
__ "Arya Rakshita Suri, born samvat 1136 in Danta Nagaram (दन्त नगरम् ) मेरुतुग P. 11 Dantani (दंताणी), मूल नाम Goduha (गोदुह) Merutung (Merutunga), Son of the Vyavaharin (व्यवहारिन), Drona (द्रोण) of the Pragwat Jnati (प्राग्वाट जाति) दीक्षा सम्वत् ११४६ (Merutunga ११४१, शतपदी समूद्धार ११४२) obtained from the guru the name Arya Rakshit Suri (आर्य रक्षित सूरि) died in samvat 1236 at the age of 100 (Merutunga's Shatpadi 1226 at the age of 91)”
मन्त्री बान्धव कुंवरपाल सोनपाल द्वारा आगरा में निर्मापित जिनमन्दिर के सम्वत् १६७१ के शिलालेख में भी आर्य रक्षितसूरि को महावीर का ४८वां पट्टधर बताते हुए उन्हें अंचलगच्छ का संस्थापक बताया गया है। वह शिलालेख इस प्रकार है :--
"श्री अंचलगच्छे श्रीवीरादष्टचत्वारिंशत्तमे पट्टे श्री पावकगिरौ श्री सीमन्धर जिनवचसा श्री चक्रेश्वरीदत्तवरा सिद्धान्तोक्तमार्गप्ररूपका श्री विधिपक्षगच्छसंस्थापका श्री आर्य रक्षित सूरयः ।।१।।"
अब प्रश्न यह उपस्थित होता है कि आर्य रक्षितसूरि अपर नाम विजयचन्द्रसूरि ने श्राद्धवर्ग को उत्तरासंग से षडावश्यक एवं साधुवन्दन करने की परिपाटी प्रचलित करने वाले विधिसंघ की स्थापना किस समय की ? अनेक पट्टावलियों तथा विद्वानों की कृतियों में अंचलगच्छ की स्थापना का समय वि० सं० १२१३ बताया गया है। किन्तु वीरवंश पट्टावली के उल्लेखों से यह प्रकट होता है कि विजयचन्द्रसूरि अपर नाम आर्य रक्षितसूरि ने वि० सं० ११६६ में ही प्राचार्य
१. (क) तथा वि० सं० त्रयोदशाधिके द्वादशशत (१२१३) वर्षे पांचलिक मतोत्पत्ति ।
(पट्टावली समुच्चय, पृष्ठ ५६) (ख) वेदाभ्रारुणकाल (१२०४) औष्ट्रिकभवो विश्वार्क (१२१३) कालेऽचलः ।
-शतपदी
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