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________________ ५१०] किया । ६० आचार्य कक्क । ६१. प्राचार्य देवगुप्त : ये बड़े विद्वान् श्राचार्य थे । ६२. आचार्य सिद्ध । ६३. आचार्य कक्क । १. [ जैन धर्म का मौलिक इतिहास - भाग ४ ६४. देवगुप्तसूरि । ६५. सिद्धसूरि : आपका समय विक्रमीय १३३० का बताया जाता है । ६६. कक्कसूरि : सम्वत् १३७१ में शाह शहजागर ने आपका पद महोत्सव ६७. आचार्य देवगुप्त । ६८. श्री सिद्धसूरि । ६६. आचार्य कक्क । ७०. आचार्य देवगुप्त । ७१. आचार्य सिद्ध : सम्वत् १५६५ में मन्त्री लोलागर ने मेड़ता में आपका पद महोत्सव किया। आपके देव कल्लोल नामक उपाध्याय ने 'कालिकाचार्य कथा' की सम्वत् १५६६ में रचना की ।. ७२. आचार्य कक्क : आपको विक्रम सम्वत् १५६६ में जोधपुर में प्राचार्य पद पर आसीन किया गया । आपके समय में कोरंटगच्छ श्रौर तपागच्छा एक-दूसरे में मिल गये और "कोरंटा तपागच्छ" का जन्म हुआ । " Jain Education International 10:1 प्रस्तुत इतिहास ग्रन्थमाला के इस चतुर्थ भाग में वीर निर्वारण सम्वत् २००० तक के आसपास का ही इतिहास दिया जा रहा है । अतः उपकेश गच्छ पट्टावली में उल्लिखित : प्राचार्यों का भी इसी काल तक का विवरण प्रस्तुत किया गया है । For Private & Personal Use Only -सम्पादक www.jainelibrary.org
SR No.002074
Book TitleJain Dharma ka Maulik Itihas Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year1995
Total Pages880
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size16 MB
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