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सामान्य श्रुतधर काल खण्ड २ ]
अभयदेव मलधारी
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उनके इस त्याग-तपोपूत अन्तर्मुखी जीवन का उनके शिष्यवृन्द पर और उपासक तथा उपासिकावृन्द पर प्रगाढ़ प्रभाव पड़ा। यही कारण था कि उनके स्वर्गस्थ हो जाने के अनन्तर भी उनके विरुद के नाम वाली मलधारी परम्परा शताब्दियों तक स्वपर के कल्याण में निरत और लोकप्रिय रही ।
इस प्रकार के अपने युग के महान् अध्यात्म योगी मलधारी अभयदेवसूरि के जीवन की अनेक महत्त्वपूर्ण घटनाओं के सम्बन्ध में अभी गहन शोध की परमावश्यकता है । आशा है शोधप्रिय विद्वद्वन्द इस दिशा में अवश्यमेव प्रयास करेंगे।
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