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प्रकाशित हो चुके हैं। चतुर्थ भाग के द्वितीय संस्करण को प्रस्तुत करते हुए हमें अत्यधिक प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है।
इतिहास समिति के उद्भव और अभ्युत्थान का श्रेय सर्वश्री सोहनलालजी कोठारी, श्रीचन्दजी गोलेछा, पूनमचंद जी बडेर, नथमलजी हीरावत को है, जिनके अथक प्रयत्नों से इतिहास समिति ने अनेक ग्रंथों के प्रकाशन का दायित्व निभाया
अंत में हम आराध्य गुरुदेव आचार्यश्री हस्तीमल जी म.सा. जिनके द्वारा इस महत् अनुष्ठान की सम्पूर्ति हुई, के प्रति प्रगाढ़ निष्ठा व्यक्त करते हुए सम्पादक मण्डल के समस्त सदस्यों और उन सबके प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं, जिन्होंने समय-समय पर इस वृहद् कार्य में सहयोग दिया है।
जैन इतिहास समिति
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