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________________ सम्पादकीय सर्वप्रथम मैं आचार्य देव श्री हस्तीमलजी म.सा. को सभक्ति वन्दन करता हूँ। प्रस्तुत ग्रन्थ में प्रारम्भिक अध्याय “पूर्व पीठिका" में उन सब बातों का भी उल्लेख कर दिया गया है, जिनका उल्लेख किसी भी ग्रन्थ के सम्पादकीय में करना आवश्यक होता है। अतः मात्र "सम्पादकीय" की औपचारिकता के निर्वहन हेतु गिनी चुनी पंक्तियों में निवेदन कर देना चाहता हूँ कि प्रस्तुत इतिहास माला के किसी भी भाग के मूल कलेवर में मेरा अपना एक भी शब्द नहीं है। जो कुछ है वह सब पूर्वाचार्यों और विभिन्न समय में हुए विद्वानों का ही कथन है। मैंने तो, जिस प्रकार एक माली छोटे-बड़े विविध जाति और वर्गों के पुष्पों को चुन-चुन कर एक सुन्दर पुष्पस्तबक का निर्माण करता है, गुम्फन करता है ठीक उसी प्रकार सैकड़ों ग्रन्थों, शिलालेखों, हजारों प्राचीन हस्तलिखित पत्रों में जो जैन इतिहास भारत के विभिन्न क्षेत्रों में बिखरा पड़ा था उसे काल-क्रम से चुन-चुन कर समुचित प्रसंग एवं स्थान पर रख कर ऐतिहासिक घटना क्रम को सुव्यवस्थित, सुपाठ्य एवं सुबोध्य करने का प्रयास मात्र किया है। मैं यह भी स्पष्ट कर देना आवश्यक समझता हूँ कि मैंने तीर्थंकर काल से पूर्व के कुलकर काल से लेकर विक्रम की २० वीं शताब्दी तक के इतिहास का आलोडन और आगमों से लेकर साम्प्रत युगीन जैन-जैनेतर साहित्य का प्रस्तुत ग्रन्थ माला के सम्पादन हेतु अध्ययन किया है। मैंने वेद व्यास द्वारा निर्मित अति विशाल पौराणिक साहित्य का पारायण करते समय वेदव्यास की इस चेतावनी को भी पढ़ा है कि जो व्यक्ति जान-बूझ कर किसी भी दूषित उद्देश्य से ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर लिखता है वह कल्पान्त काल तक दुस्सह्य दारुण नारकीय दुःखों का भागी बनता है। इस प्रकार की स्थिति में यदि कोई व्यक्ति अपने मन में किंचित्मात्र भी इस प्रकार की शंका लाए कि इस इतिहास में किसी भी सम्प्रदाय अथवा मान्यता विशेष को श्रेष्ठ अथवा अन्य किसी सम्प्रदाय, संघ अथवा मान्यता विशेष को मध्यम सिद्ध करने के उद्देश्य से लिखा गया है, तो मैं यह निवेदन करूँगा ( xiii ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002074
Book TitleJain Dharma ka Maulik Itihas Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year1995
Total Pages880
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size16 MB
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