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________________ ९० ] [ जैन धर्म का मौलिक इतिहास-माग ४ सुल्तान की सेनाओं ने सिन्धु नदी तक जयपाल का पीछा किया। सिन्ध के पश्चिमी प्रदेशों पर अपना अधिकार स्थापित कर लूट में प्राप्त विपुल सम्पदा के साथ गजनी की ओर लौट गया । सिन्धु व पश्चिमी प्रदेशों पर अपना शासन सुदृढ़ एवं सुस्थिर बनाये रखने के लिये सुबुक्तगीन ने पेशावर में १०,००० सैनिकों के साथ अपना हाकिम रखा। इस प्रकार भारत के पश्चिमी प्रदेश सिन्ध प्रदेश के पश्चात् भारत की उत्तरी सीमा के प्रदेशों पर भी इस्लामी हुकूमत की स्थापना हो गई। सुबुक्तगीन कौन था और किस प्रकार गजनी का सुल्तान बना इस सम्बन्ध में फिरिश्ता आदि इतिहास लेखकों के आधार पर रायबहादुर पं० गौरीशंकर हीराचन्द अोझा ने लिखा है : "ईसा की नौवीं शताब्दी से, जबकि बगदाद के अब्बासिया वंश के खलीफों का बल घटने लगा, उनके कई सूबे स्वतन्त्र बन गये । समरकंद, बुखारा आदि में एक स्वतन्त्र मुसलमान राज्य स्थापित हो चुका था। वहां के अमीर अबुक मलिक ने तुर्क अलप्तगीन को ई० सन् ६७२ (वि० सं० १०२६) में खुरासान का शासक नियत किया, परन्तु अबुक मलिक के मरने पर अलप्तगीन गजनी का स्वतन्त्र सुलतान बन बैठा। अलप्तगीन के पीछे उसका बेटा अबू इसहाक गजनी का स्वामी हुअा और अलप्तगीन का तुर्की गुलाम सुबुक्तगीन उसका नायब बनाया गया । इसहाक की मृत्यु के पीछे ई० सन् १७७ (वि० सं० १०३४) में सुबुक्तगीन ही गजनी का सुलतान बना।"१ १. ब्रिग, फिरिश्ता, जि. १, पृष्ठ १२-१३ । देखिये राजपूताने का इतिहास, पहली जिल्द, पृष्ठ २५७। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002074
Book TitleJain Dharma ka Maulik Itihas Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year1995
Total Pages880
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size16 MB
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