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________________ ३२ । [ जैन धर्म का मौलिक इतिहास- भाग ३ चराचर निखिल प्रागिवर्ग के सच्चे मित्र प्रभु महावीर ने सभी भव्यों को हिंसा से, पर-पीड़ाकारक कार्यों से बचते रहने का उपदेश देते हुए फरमाया : “सव्वेपाणा पियाउया, मुहमाया, दुक्ख पडिकूला, अप्पियवहा, पियजीविणो, जीविउकामा, सव्वेसि जीवियं पियं......... .।' अर्थात्-मब प्राणियों को जीवन प्रिय है, सभी जीव सुख की अभिलापा रखते हैं, दुःख सबको प्रतिकल है, अनिष्ट है । सभी प्राणियों को वध अप्रिय और जीवन प्रिय है। सभी प्रागगी जीवन की कामना करने वाले हैं, सभी जीवों को जीवन प्रिय है । अत: प्राणिवध को भयंकर समझकर निग्रंथ इसका परिवर्जन करते हैं। जैसा कि कहा है :-- सव्वे जीवा वि इच्छंति, जीविन मरिज्जिउ । तम्हा पाणिवहं घोरं, निग्गंथा वज्जयंति णं ।। दशवका० ॥६॥ इसी प्रकार सूत्रकृतांग में भी स्पष्ट रूपेण षट्जीवनिकाय के प्रारम्भसमारम्भ से विज्ञों को पृथक् रहने का उपदेश दिया गया है : . एएहि छहि काहि तं विज्जं परिजाणिया। मणसा काय वक्केणं, गारंभी ण परिग्गही ।।' अर्थात् विद्वान् पुरुष इन छहों जीव-निकायों को 'ज्ञ' परिज्ञा से जान कर प्रत्याख्यान परिज्ञा द्वारा इनके प्रारम्भ समारम्भ का मन, वचन और काया से त्याग करें। सूत्रकृतांग सूत्र के पुण्डरीकाध्ययन में बताया गया है कि जो ये त्रस एव स्थावर प्राणी हैं, उनका जो स्वयं प्रारम्भ-समारम्भ नहीं करता है, दूसरों से प्रारम्भ-समारम्भ नहीं करवाता और न दूसरे प्रारम्भ-समारम्भ करने वालों का अनुमोदन ही करता है, वह साधु दारुण दुःखदायी कर्मबन्ध से निवृत्त हो जाता है, शुद्ध संयम में स्थित होता और पाप मे परिनिवृत्त हो जाता है। वह मूल पाठ इस प्रकार है : ___“से भिक्ख जो इमे तस थावरा पारणा भवंति-ते रणो सय समारंभई, गो अण्णेहि समारंभावेई, अण्ण समारंभंते वि ण समगुजाणइ-इति से महता आदाणाओ उवसंते उवट्ठिये पडिविरते ।। इसके विपरीत पृथ्वी अप, तेजस्, वायु, वनस्पति और प्रस... इन छः जीव ' सूत्र कृतांग, श्र.० १,०६, गा०६ सूत्र कृतांग, पुण्डरीकाध्ययन । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002073
Book TitleJain Dharma ka Maulik Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year2000
Total Pages934
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Parampara
File Size16 MB
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