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वीर सम्वत् १००० से उत्तरवर्ती प्राचार्य ]
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उस समय मार्ग में स्थित धारा नगरी में रहते हुए धनपाल धणवाल) नामक कवि ने सुन्दरी नाम की अपनी छोटी बहिन के लिए "पाइय लच्छीनाममाला" नाम्नी (देशी भाषा की) कृति की रचना की।
__ यह एक बड़े ही ऐतिहासिक महत्व की प्रशस्ति है। इससे राष्ट्रकूट राज्य के पतनकाल के साथ-साथ धनपाल के समकालीन अनेक विद्वानों के समय का भी प्रामाणिक निर्णय किया जा सकता है।
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