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वीर सम्वत् १००० से उत्तरवर्ती प्राचार्य ]
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घटना के पश्चात् महारारणा अल्लट जैन धर्म में गहरी रुचि लेने लगा । इसने अनेक जैनाचार्यों के उपदेश सुने और उनका राजकीय सम्मान किया । उन जैनाचार्यों में आचार्य नन्नसूरि, प्राचार्य जिनयश, प्राचार्य विमलचन्द्र, प्राचार्य प्रद्य ुम्नसूरि आदि के नाम उल्लेखनीय हैं । महारारणा अल्लट की राजसभा में प्राचार्य प्रद्मम्नसूरि ने एक दिगम्बराचार्य को शास्त्रार्थ में पराजित कर उसे अपना शिष्य बनाया ।
कहा जाता है कि महारारणा अल्लट की एक रानी का नाम हरियदेवी था । वह हूण राजा की पुत्री थी । श्रपनी उस हूणवंशीया रानी के नाम पर अल्लट ने हर्षपुर नामक एक नगर बसाया जो वर्तमान काल में हांसोट नामक एक ग्राम के... रूप में अवशिष्ट रह गया है ।
अल्लट के राज्यकाल के अनेक शिलालेख मिलते हैं, उनसे यह प्रमाणित होता है कि महारारणा अल्लट ने अपने दीर्घकाल के शासन में जैन धर्म के प्रति उल्लेखनीय अभिरुचि ली ।
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