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वीर सम्बत् १००० से उत्तरवर्ती प्राचार्य ]
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सर्वप्रथम कीर्तिवर्मन का संघर्ष पाण्डय राजा माडवर्मन-राजसिंह (प्रथम) से उस समय हुमा जबकि वह पाण्ड्य · राज्य के विस्तार के अभियान में चालुक्य राज्य की सीमा के क्षेत्रों पर अधिकार कर रहा था। पाण्ड्यराज ने वेन्बाइ के निर्णायक युद्ध में कीर्तिवर्मन और गंगराज श्री पुरुष को पराजित किया। पाण्ड्यराज ने गंगवंश की राजकुमारी का विवाह अपने पुत्र के साथ करवाने की स्वीकृति हस्तगत करने के पश्चात् कीर्तिवर्मन और श्री पुरुष से संधि की।
राष्टकट वंश के ६ठे राजा दन्तिदुर्ग ने जिस प्रकार बादामी के चालुक्य राज्य पर कीर्तिवर्मन के शासनकाल में भीषण प्रहार किये उनका विवरण राष्ट्रकूट राजवंश के परिचय में प्रस्तुत ग्रन्थ में दिया जा चुका है।
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