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________________ ६१६ ] [ जैन धर्म का मौलिक इतिहास - भाग ३ माना जाता रहा है । इतिहास के उच्चकोटि के अनेक विद्वानों ने कतिपय विवादास्पद ऐतिहासिक घटनाओं अथवा प्राचार्यों के सम्बन्ध में दर्शनसार के उद्धरण दिये हैं । काष्ठासंघ की उत्पत्ति के सम्बन्ध में उपरिवरित विवरण में असंगतियों और अप्रामाणिकता को देख कर भविष्य में सभी विद्वानों को सावधानी बरतनी होगी । काष्ठासंघ की उत्पत्ति दिगम्बर संघ में हुई, यह एक ऐतिहासिक तथ्य है । यह भी सम्भव है कि कुमारसेन नामक किसी प्राचार्य ने विक्रम सं० ७५३ में इसकी स्थापना की हो । किन्तु काष्ठासंघ के संस्थापक उस कुमारसेन की गुरु-परम्परा और उसके पूर्वाचार्यों के नाम अन्य ही हो सकते हैं, वीरसेन, जिनसेन, गुणभद्र प्रादि नहीं । इस सम्बन्ध में विद्वानों से अग्रेतर शोध की अपेक्षा है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002073
Book TitleJain Dharma ka Maulik Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year2000
Total Pages934
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Parampara
File Size16 MB
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