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________________ दूसरा दुष्परिणाम तीसरा दुष्परिणाम चौथा दुष्परिणाम श्वेताम्बर परम्परा में मोटे रूप से दो विभाग ५. भट्टारक परम्परा भट्टारक परम्परा के तीन रूप एवं - निर्णय उनका काल-1 भट्टारक परम्परा का प्रथम स्वरूप भट्टारक परम्परा का दूसरा स्वरूप नन्दिसंघ के पट्टावलि के आचार्यों की नामावलि भट्टारक परम्परा का तीसरा स्वरूप भट्टारक परम्परा की पृष्ठभूमि भट्टारक परम्परा से पूर्व विकट परिस्थितियों में भट्टारक परम्परा का प्रादुर्भाव भट्टारक परम्परा के प्रथम आचार्य का पट्टाभिषेक भट्टारक पीठों की सर्वप्रथम स्थापना श्रवण बेल्गोल तीर्थ तथा वहां की स्थापना आचार्य माघनन्दि का समय भट्टारक परम्परा-अनेक परम्पराओं का संगम चैत्यवासी परम्परा का प्रभाव भट्टारक परम्परा पर यापनीय परम्परा का प्रभाव भट्टारक पद पर साध्वियाँ निष्कर्ष Jain Education International मुख्य पीठ (ii) For Prive& Personal Use Only ११२ ११३ ११४ ११६ ११७-१८९ १२६ १२७ १३४ १३६ १४३ १४३ १४९ १५२ १६१ १६२ १६३ १७५ १७७ १७७ १७९ १८२ १८८ www.jainelibrary.org
SR No.002073
Book TitleJain Dharma ka Maulik Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year2000
Total Pages934
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Parampara
File Size16 MB
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