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वीर सम्वत् १००० से उत्तरवर्ती प्राचार्य ]
[ ५१६ है तो भगवान् बुद्ध के अपमान करने के गुरुतर अपराध के दण्डस्वरूप इसका वध निश्चित है।"
नियत समय पर दोनों में वाद प्रारम्भ हुआ। एक पर्दे के अन्दर बैठी हुई बौद्धों की शासनाधिष्ठात्री देवी घटमुखवादिनी बोलती है और दूसरी ओर हरिभद्र सरि के शिष्य परमहंस बोलते हैं। उन दोनों ने परस्पर एक दूसरे को नहीं देखा। वाद लम्बा चलने लगा।
वाद को लम्बा चलते देख परमहंस ने सोचा :- "बौद्धाचार्य छल-छद्म में बड़े निष्णात होते हैं। किसी अदृश्य शक्ति से वे मुझे छल रहे प्रतीत होते हैं। यदि इनके पास कोई अदृश्य शक्ति न हो तो इन बौद्धाचार्यों में कोई सामर्थ्य नहीं कि मेरी युक्तियों का ये खण्डन कर सकें और मेरे तर्कों को निरस्त कर सकें।"
जब शास्त्रार्थ चलते-चलते अनेक दिन व्यतीत हो गये तो परमहंस को बड़ी चिंता हुई। उसे किसी संकट का आभास हुआ। उसने उस संकट की वेला में अपनी जिन शासन.धिष्ठात्री देवी अम्बा का स्मरण किया। वह तत्काल परमहंस के समक्ष प्रकट हुई और बोली :- "वत्स ! बौद्धधर्म की अधिष्ठात्री तारादेवी उस घट में बैठी हुई है । निरन्तर अस्खलित वाणी से बोलती रहती है । परमहंस ! तुम जैसे महान् विद्वान् के अतिरिक्त संसार में अन्य कौन विद्वान् देव-देवियों के साथ विवाद में क्षण भर भी ठहर सकता था। तुम ऐसा करो कि अब प्रागे शास्त्रार्थ के समय आक्रोशपूर्ण शब्दों में कहना कि वाद तो वादी तथा प्रतिवादी के एक-दूसरे के अभिमुख होने पर ही होता है। एक-दूसरे के सम्मुख हुए बिना वाट. ही कैसा? ऐसी स्थिति में वादी मेरे सम्मुख पाए । अन्यथा में उसे बलात् सम्मुख लाता हूं।"
"तुम्हारे इस प्रकार के व्यवहार से बौद्धों का सारा छल-छद्म तत्काल प्रकट हो जायेगा और अन्त में निश्चित रूप से विजय तुम्हारी ही होगी।"
परमहंस ने कृतज्ञतापूर्ण शब्दों में देवी अम्बा से निवेदन किया :"मातेश्वरी ! आपके बिन, मेरी सार सम्हाल करने वाला और है ही कौन ?"
जिनशासनदेवी इसके बाद तत्काल वहां से तिरोहित हो गई।
दूसरे दिन शास्त्रार्थ प्रारम्भ हुआ तो बौद्धों की देवी के बोलते रहने पर भो मौन धारण कर बैठे हुए परमहंस ने आगे बढ़कर पर्दे (यवनिका) को ऊपर उठा दिया। वहां कोई नहीं था । केवल एक घट पड़ा हुअा था और उसी में से वह देवी बोल रही थी।
परमहंस ने एक ही पाद प्रहार से उस घट को खण्डित-विखण्डित कर दिया जिसमें बैठी हुई बौद्ध देवी अस्खलित वाणी में उससे शास्त्रार्थ कर रही थी। घट
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