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श्रमण भगवान महावीर के ३७वें पट्टधर प्राचार्य
श्री देव ऋषि
जन्म
वीर नि. सं. ११४६
दीक्षा
वीर नि. सं. ११६० प्राचार्य पद
वीर नि. सं. १२२६ स्वर्गारोहण
वीर नि. सं. १२३४ गृहवास पर्याय
४१ वर्ष सामान्य साधु-पर्याय - ३६ वर्ष प्राचार्य पर्याय - ५ वर्ष पूर्ण साधु-पर्याय - ४४ वर्ष पूर्ण आयु - ८५ वर्ष
शासन नायक वीर प्रभू के ३६वें पट्टधर श्री जगमाल स्वामी के वीर नि.सं. १२२६ में स्वर्गारोहण कर लेने पर मुनिश्रेष्ठ श्री देवऋषि को महावीर के ३७वें पट्टधर पद पर आचार्य बनाया गया।
आप वीर निर्वाण की १३वीं शताब्दी के प्राचार्य हए । वीर नि. सं. १२२६ से १२३४ पर्यन्त केवल ५ वर्ष के अपने प्राचार्य काल में प्रतिकूल परिस्थितियों के उपरान्त भी श्रमण-श्रमणी वर्ग के हृदय में विशुद्ध श्रमणाचार के प्रति एक ललक उत्पन्न कर उत्तरोत्तर क्षीण से क्षीणतम होते जा रहे मूल श्रमण-परम्परा के प्रवाह को अक्षुण्ण-अविच्छिन्न बनाये रखकर जिनशासन की महती सेवा की ।
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