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________________ श्रमण भगवान् महावीर के ३६३ पट्टधर प्राचार्य श्री जगमाल स्वामी जन्म - वीर नि. सं. ११८७ दीक्षा वीर नि. सं. १२१४ आचार्य पद वीर नि. सं. १२२३ स्वर्गारोहण वीर नि. सं. १२२६ गृहवास पर्याय - २७ वर्ष सामान्य साधु-पर्याय - ६ वर्ष आचार्य-पर्याय पूर्ण साधु-पर्याय - १५ वर्ष पूर्ण आयु - ४२ वर्ष - वीर प्रभु के ३५वें पट्टधर प्राचार्य श्री जयसेन (द्वितीय) के दिवंगत हो जाने पर श्रमरमोत्तम श्री जगमाल स्वामी को भ. महावीर के ३६वें पट्टधर के रूप में चतुर्वि । संघ द्वारा प्रभु की मूल विशुद्ध श्रमण-परम्परा का प्राचार्य बनाया गया। उन्होंने ६ वर्ष तक सामान्य साधु पर्याय में और ६ वर्ष तक प्राचार्य पद पर रहकर भगवान महावीर की मूल परम्परा के विशुद्ध श्रमणाचार की ज्योति को अपने समय के संक्रान्ति काल में भी प्रखण्ड बनाये रखा । आपने चैत्यवासी परम्परा के एकाधिपत्य काल की विकट परिस्थितियों में भी मूल श्रमण परम्परा के विशुद्ध श्रमणाचार को अक्षुण्ण एवं निरतिचार बनाये रखकर जिनशासन की जो सेवाएं की हैं, वे जैन धर्म के इतिहास में युग-युगान्तरों तक मुमुक्षु साधु-साध्वियों एवं श्रावक-श्राविकाओं के वर्गों को स्व पर कल्याण के प्रशस्त पथ पर अग्रसर होते रहने के लिये प्रदीप स्तम्भ के समान सदा-सदा मार्गदर्शन करती रहेंगी। Coom Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002073
Book TitleJain Dharma ka Maulik Itihas Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year2000
Total Pages934
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Parampara
File Size16 MB
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